कशेरुकियों में ग्रीवा के अग्र भाग या वक्ष क्षेत्र में स्थित अंत:स्रावी ग्रंथि जो भ्रूण में क्लोम-कोष्ठ या क्लोम-रंध्र से परिवर्धित होती है।संभवत: प्रतिपिंडों के निर्माण में या प्रतिरक्षा उत्पन्न करने में इसका योगदान होता है।
Thyroid gland
अवदु ग्रंथि, थाइरॉइड ग्रंथि
कशेरुकियों के ग्रीवा क्षेत्र में स्थित बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि जो परिवर्धन के दौरान ग्रसनी से मध्य अधर उद्वर्ध के रूप में निकलती है। इससे थाइरॉक्सिन नामक स्राव उत्पन्न होता है जो कशेरुकियों में उपापचयी क्रियाओं को और मेंढ़क में कायांतरण की क्रिया को तीव्र करता है।
Thyroxine
थाइरॉक्सिन
थाइरॉइड ग्रंथि से निलकने वाला हार्मान जो रासायनिक दृष्टि से आयोडीनयुक्त एमीनो ऐसिड होता है और जिसका वृद्धि तथा कायांतरण की क्रियाओं पर विशेष प्रभाव पड़ता है। इसकी कमी से क्रेटिनता(क्रेटिनिज्म) और अधिकता से नेत्रगोलकों का आगे निकल आना आदि रोग हो सकते हैं।
Thysanoptera
थइसैनोप्टेरा
छोटे या सूक्ष्म तनु-शरीरी कीट जिनकी श्रृंगिकएँ छोटी और 6 से 10 खंडीय होती हैं। असममितत; वेधी मुखांग; अग्रवक्ष सुपरिवर्धित और असंयुक्त; गुल्फ अंतस्थ बहि:सारी आशय (protrusible vesicle) वाले; पंख बहुत संकीर्ण जिनका शिराविन्यास अत्यधिक लघुकृत होता है और सीमांत शूक (setae) लंबे होते हैं। कायांतरण एक या दो निष्क्रिय कोशित निर्मोकरुप (instar) वाला होता है। उदा.-थ्रिप।
Thysanura
थाइसैन्यूरा
ऐसे अपंखी कीट जिनके बहि:सृत हनु (ictognathous) मुखांग आदंश के लिए अनुकूलित होते हैं।संयुक्त नेत्र होते हैं या नहीं भी होते। पार्श्वीय शूकाकार (styliform) अग्रजनन उपांगों (pregenital appendages) वाला ग्यारह-खंडीय उदर; एक जोड़ी बहुखंडीय लूम; वातक तंत्र (tracheal system) और मैलपीगी नलिकाएँ होती हैं। उदा.-शूक-पुच्छ (bristle tail)।
Tibia
अंतर्जंघिका, टिबिया
1. कशेरुकियों की टांग में घुटने और टखने के बीच वाली भीतरी बड़ी अस्थि।
2. कीटों की टांग में आधार से चौथा खंड।
Ticks
किलनी, कुटकी
एक छोटा संधिपाद जिसमें दो कायखंड और आठ संधित टांगें होती हैं किन्तु श्रृंगिकाएँ और पंख नहीं होते। इस समूह के प्राय: सभी प्राणी परजीवी तथा रक्त चूसने वाले होते हैं। ये कुत्तों, गायों और अन्य जानवरों पर चिपके रहते हैं।
Tiger beetle
व्याघ्र भृंग
चमकीले रंग का परभक्षी भृंग जो कोलियोप्टेरा गण के कुल निकेनोएलडिया के अंतर्गत आता है।
Tissue culture
ऊतक संवर्धन
प्रयोगशाला की नियंत्रित परिस्थितियों के अंतर्गत कोशिका तथा ऊतक वर्धन की तकनीक।
Tissue
ऊतक
समान कार्य करने के लिए समान कोशिकाओं का समूह। शरीर में संयोजी ऊतक, तंत्रिका ऊतक, पेशी ऊतक आदि कई प्रकार क ऊतक होते हैं जिनका अलग-अलग कार्य होत है।