Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten
तन पै नइयाँ लत्ता, पान खायें अलबत्ता
घर में खाने को न होने पर भी शौक करना।
भीषण गर्मी पड़ रही है, जून के महीने में जेठ दशहरा से जेठ सुदी 15 पूर्णिमा के दिन तक कहलाते हैं।
तबा की तोरी, मटेलनी की मोरी
रोटी रखने का मिट्टी का बना बासन, तवे पर जो रोटी सिक रही है वह तुम्हारी और जो बन चुकी है वह मेरी, स्वार्थी के लिए।
शीघ्र नष्ट हो जाने वाली वस्तु।
तर के दाँत तरै और ऊपर के ऊपर रै गये
तले के दाँत तले और ऊपर के ऊपर रह गये, अर्थात् कुछ बोलते नहीं बना, चुप हो गये।
तला खूदौ नइयाँ, मगर सुसानई लगे
तालाब तो खुदा नहीं, और मगर पैर पसार कर सोने के लिए आ गये, अर्थात् कोई वस्तु बन कर तो तैयार नहीं हुई और चाहने वालों की भीड़ लग गयी।
ताताथेई मचा देना, उतावली पाड़ देना, आफत कर देना।
तबे पर से गरम-गरम उठाते हैं, किसी कार्य में जल्दी मचाने पर।
तिरिया चरित जानें नहिं कोय, खसम मार कें सती होय
स्त्रियों के चरित्र को जानना कठिन है।
तिरिया रोवे पुरुष बिना, खेती रोवे मेह बिना
पुरुष के बिना जैसे स्त्री का जीवन व्यर्थ है वैसे ही वर्षा के बिना खेती व्यर्थ होती है।