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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

टिकली सेंदुर सें गये तौ का खाबे मेंई बज्जुरपरै
बनाव-श्रृंगार की सामग्री से गये तो क्या पेट भर भोजन भी नहीं मिलेगा।

टेड़ी खीर है
जब कोई मामला बेढब तरीके से उलझ जाय और उसे सुलझाना बहुत कठिन हो तब कहते हैं।

ठंडो नहाय, तातौ खाय, ताकें बैद कबहुँ ना जाय
नित्य ठंडे पानी से नहाने और गरम खाना खाने से कभी बैद्य की आवश्यकता नहीं पड़ती।

ठठेरे ठठेरे बदलाई नई होत
एक-सा काम या व्यवसाय करने वालों में आपस में लेन-देन का झगड़ा क्या।

डंडा सब कौ पीर है
डंडा सबसे बड़ा है।

डरी डरी कामें आऊत
बेकार वस्तु भी पड़ी-पड़ी काम आ जाती है।

डूँड़ा हर कौ, न बखर कौ, दायें कों टायें टायें
ऐसा बैल जिसके सींग टूट कर गिर गये हों, कटी हुई फसल का दाना निकालने के लिए उसे जमीन में बिछा कर बैलों से कुचलवाने की क्रिया।

डूबो साद कें रै गये
डुबकी साध कर रह गये, चुप्पी साध ली ऐन मौके पर गायब हो गये।

डूबो बंस कबीर कौ उपजे पूत कमाल
ऐसी अयोग्य संतान के संबंध में जिससे कुल को बट्टा लगे।

ढका में ढका लगत
धक्के में और धक्का लगता है, हानि में और हानि होती है।


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