गुड़ तो एक-एक डली करके ग्राहकों द्वारा उठाये जाने से नष्ट होता है और घी उँगलियों में लेने से।
गुर भरौ हँसिया
ऐसी वस्तु जिसे न तो छोड़ते ही बने और न ग्रहण करते हैं।
गुरू बिन ज्ञान भेद बिन चोरी, बहुत नही तो थोरी थोरी
गुरू के बिन ज्ञान और भेद के बिना चोरी नहीं होती।
गैल कौनऊँ जायें, बैल घरई के आयँ
किसी आदमी के बैल भटक गये, उसके साथी ने कहा- देखों, तुम्हारे बैल कहाँ जा रहे हैं, इस पर उसने उत्तर दिया- चिन्ता की बात नहीं, बैल घर के ही हैं, किसी रास्ते जायें, भूलेंगे नहीं, ढोरों की स्मरण शक्ति के संबंध में कहावत।
गैल में ठाँड़े
अर्थात् संसार का सब झगड़ा छोड़ चुके है, जाने को तैयार खड़े है, हमें किसी बात से क्या मतलब।
गोंऊअन के संगे घुन पिस गओ
गेहुओं के साथ घुन पिस गया।
गोबर के गनेस, जी पटा पै बैठत, बई खों नई फोर पाउत
गोबर-गनेस जिस पटे पर बैठते हैं, उसको ही तोड़ने की सामर्थ्य नहीं रखते।