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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

खाकें पर रइये, मार कें भग जइये
खाकर लेट जाय, मार के भाग जाय।

खाबे को मौआ, पैरवे कों अमौआ
एक प्रकार का खाकी रंग जो आम के पत्तों से बनता है, आम के पत्तों से बने हुए रंग में रँगा कपड़ा, खाने को महुआ, पहिनने को अमोआ, संतोषी का कथन।

खुसामद से आमद है
खुशामद से ही पैदा मिलता है।

खूंटा के बल बछरा नाचे
किसी के बल-बूते पर ही आदमी किसी बड़े काम को करने की हिम्मत करता है।

गंगा गये मुंडायें सिद्ध
सामने आ गये काम को पूरा कर डालने में ही समझदारी है।

गंगा नहाबो
झगड़े से छुट्टी पाना, किसी काम की जिम्मेवारी से मुक्त होना।

गँवार की अक्कल चेंथरी में
गँवार पिटने से ही मानता है।

गई परथन लैन, कुत्ता पींड़ लै गओ
गुँदे हुए आटे की पिंडी, एक काम करने गये तब तक दूसरा चौपट हो गया।

गदन की बातें, लड़इयन की लातें
गधों की बातें और गीदड़ों की लातें, मूर्ख की बेतुकी बात।

गदन खाओ खेत पाप न पुन्न
मुर्खों को खिलाना-पिलाना व्यर्थ है।


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