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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

लरका सीके नाऊ कौ, मूँड़ कटै किसान कौ
गाँव में नाई, धोबी आदि जिन लोगों के यहाँ नियमित रूप से काम करते हैं वे उनके किसान कहलाते हैं, कोई नौसिखिया जबर्दस्ती दूसरे के काम में हाथ डाल कर उसे बिगाड़ दे तब।

लाख जाय पै साख न जाय
भले ही धन चला जाय पर इज्जत न जाय।

लाख बात की एक बात
सारांश की बात।

लातन की देवी बातन नई मानतीं
नीच समझाने से नहीं मानता, पीटना ही उसका इलाज है।

लातन मारी बात फिरबो
किसी बात का तिरस्कारक करना।

लाद देओ, लादउन देओ, लादनवारो संग दो
माल लाद दो, लादने की मजदूरी भी दो और लादने वाला भी साथ दो एक के बाद एक करके जब कोई आदमी तमाम उचित अनुचित सुविधाएं माँगता है तब।

लाबर बड़ै कै दोंदर
झूठा बड़ा या उपद्रवी, निःसंदेह उपद्रवी बड़ा होता है।

लालच बुरी बलाय
लालच बुरी बला है।

लासुन खाओ और ब्याध न गई
अनुचित काम भी किया और कोई लाभ न हुआ।

लासुन घाई बसात
लहसुन की तरह गँधाते हैं अर्थात् बुरे लगते हैं।


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