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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

रूपवती लड़कियों को प्रायः अच्छा घर नहीं मिलता, और वे बैठ कर रोती हैं, परन्तु जिनका भाग्य प्रबल होता है वे अच्छे घर पहुँच कर सुख से जीवन व्यतीत करती हैं, भाग्य ही सब कुछ हैं, रूप कुछ नहीं।
=CONCAT(A932,B932)
रूपवती लड़कियों को प्रायः अच्छा घर नहीं मिलता, और वे बैठ कर रोती हैं, परन्तु जिनका भाग्य प्रबल होता है वे अच्छे घर पहुँच कर सुख से जीवन व्यतीत करती हैं, भाग्य ही सब कुछ हैं, रूप कुछ नहीं।।

रोई क्यों कहा नंद ने देख लिया, कोई स्त्री अकेले में भले ही अपने पति के हाथ से नित्य पिटती रहे, परन्तु कोई यदि देख ले, विशेषकर देखने वाली ननद हो, तो वह रो पड़ेगी, दूसरे के सामने अपमान बर्दाश्त नहीं होता।
=CONCAT(A935,B935)
रोई क्यों कहा नंद ने देख लिया, कोई स्त्री अकेले में भले ही अपने पति के हाथ से नित्य पिटती रहे, परन्तु कोई यदि देख ले, विशेषकर देखने वाली ननद हो, तो वह रो पड़ेगी, दूसरे के सामने अपमान बर्दाश्त नहीं होता।।

रोटियों पर नौकर रहे, उसमें भी झोलझाल, कम मजदूरी पर काम करना और वह भी पूरी न मिलना।
=CONCAT(A937,B937)
रोटियों पर नौकर रहे, उसमें भी झोलझाल, कम मजदूरी पर काम करना और वह भी पूरी न मिलना।।

रोजी को ठुकराना।
=CONCAT(A939,B939)
रोजी को ठुकराना।।

रबी की फसल को अगहन में पानी मिल जाय तो समझो बड़ा काम हुआ।
=CONCAT(A994,B994)
रबी की फसल को अगहन में पानी मिल जाय तो समझो बड़ा काम हुआ।।

रस्सी का साँप बनाते हैं।

रस्सी से ऐंठते हैं, व्यर्थ अकड़ते हैं।

रोटी रखने का मिट्टी का बना बासन, तवे पर जो रोटी सिक रही है वह तुम्हारी और जो बन चुकी है वह मेरी, स्वार्थी के लिए।

रुपया कमाने की फिक्र सवार हो जाना, घर गृहस्थी की चिन्ता में पड़ जाना।

रोटियाँ तैयार होते-होते भी खाने को मिलेंगी इसका विश्वास नहीं।


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