logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

राजा कौ धन तीन खायें रोरा, घोरा और दंत निपोरा
राजा का धन तीन बातों में खर्च होता है, इमारतें बनवाने में, फौज-फाँटा रखने में या खुशामदी दरबारियों में।

राजा छुयें रानी होय
राजा जिस पर प्रसन्न होता है वही बड़ा आदमी बन जाता है।

रात थोरी, स्वाँग भौत
समय थोड़ा और काम बहुत।

रात भर पीसो पारे से उठाओ
परिश्रम बहुत, लाभ थोड़ा।

रात रतेबा ना मिलै, छै मइना नो नोंन पूँछे चील चमार सों सो बैला है कौन
चील चमार से कहती है कि वह बैल कौन सा है जिसे रात में चारा-दाना नहीं मिलता और छः-छः महीने तक नमक। अभिप्राय यह कि ऐसा बैला बहुत दिनों जीवित नहीं रह सकता, मरे तो माँस खाया जाय।

राम भरोसें खेती है
सब राम का भरोसा है।

राम राखे, कोऊ न चाखे
राम रक्षक है तो कोई क्या बिगाड़ सकता है।

राम राम कर कें दिन तेर करबो
राम राम करके दिन काटना, कष्ट में रहना।

रिपट परे पतोरन नई भरत
रीते कुए पत्तों से नहीं भरते, महत्वाकांक्षी थोड़े से संतुष्ट नहीं होता।

रूचै सो पचै
जो वस्तु खाने में अच्छी लगे वह आसानी से पचती भी है।


logo