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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

मौत के आगे किसी का वश नहीं।
=CONCAT(A898,B898)
मौत के आगे किसी का वश नहीं।।

मन में कोई बात चुभ जाने पर चैन नहीं पड़ता।
=CONCAT(A952,B952)
मन में कोई बात चुभ जाने पर चैन नहीं पड़ता।।

महुआ नामक वृक्ष का पका फल जो खाने में मीठा होता है, मुफ्त का माल खाने की आदत पड़ जाने पर बार बार उसी जगह जाना जहाँ खाने को मिलता है।
=CONCAT(A959,B959)
महुआ नामक वृक्ष का पका फल जो खाने में मीठा होता है, मुफ्त का माल खाने की आदत पड़ जाने पर बार बार उसी जगह जाना जहाँ खाने को मिलता है।।

माल लाद दो, लादने की मजदूरी भी दो और लादने वाला भी साथ दो एक के बाद एक करके जब कोई आदमी तमाम उचित अनुचित सुविधाएं माँगता है तब।
=CONCAT(A968,B968)
माल लाद दो, लादने की मजदूरी भी दो और लादने वाला भी साथ दो एक के बाद एक करके जब कोई आदमी तमाम उचित अनुचित सुविधाएं माँगता है तब।।

मुक्त में जो मिला वही अच्छा।
=CONCAT(A979,B979)
मुक्त में जो मिला वही अच्छा।।

मुफ्त का चंदन।
=CONCAT(A1029,B1029)
मुफ्त का चंदन।।

मनुष्य से जब कुछ और करते धरते नहीं बनता तब भगवान का भजन सूझता है।
=CONCAT(A1081,B1081)
मनुष्य से जब कुछ और करते धरते नहीं बनता तब भगवान का भजन सूझता है।।

मिल गयी तो धोती पहिन ली, नहीं तो लँगोटी से ही काम चला लिया।
=CONCAT(A1089,B1089)
मिल गयी तो धोती पहिन ली, नहीं तो लँगोटी से ही काम चला लिया।।

मनुष्य जिस हैसियत का होता है उसी के अनुसार उसकी इज्जत होने लगती है।
=CONCAT(A1090,B1090)
मनुष्य जिस हैसियत का होता है उसी के अनुसार उसकी इज्जत होने लगती है।।

मन माना काम, नियम व्यवस्था का अभाव।


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