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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

मन के लड्डू खाना।
=CONCAT(A656,B656)
मन के लड्डू खाना।।

मैदान में चलने-फिरने ही से ढोर को चरने के लिए घास मिलती है, एक जगह बैठे रहने से पेट कैसे भर सकता है।
=CONCAT(A702,B702)
मैदान में चलने-फिरने ही से ढोर को चरने के लिए घास मिलती है, एक जगह बैठे रहने से पेट कैसे भर सकता है।।

मुफ्त का माल हमको भी देना।
=CONCAT(A710,B710)
मुफ्त का माल हमको भी देना।।

मूर्ख।
=CONCAT(A720,B720)
मूर्ख।।

मरे हुए बछड़े की खाल का बना ढाँचा जो दूध देने वाली गाय का बछड़ा मर जाने पर उसे दुहने के लिए काम में लाया जाता है।
=CONCAT(A721,B721)
मरे हुए बछड़े की खाल का बना ढाँचा जो दूध देने वाली गाय का बछड़ा मर जाने पर उसे दुहने के लिए काम में लाया जाता है।।

मेरी मौसी ने बड़ा लाड़-प्यार किया, तो छिनक-छिनक कर घर के दोनों कोनें भर दिये, झूठा प्रेम करने पर।
=CONCAT(A730,B730)
मेरी मौसी ने बड़ा लाड़-प्यार किया, तो छिनक-छिनक कर घर के दोनों कोनें भर दिये, झूठा प्रेम करने पर।।

माला रखने की थैली, साधू को अपनी बगली ही प्यारी होती है।
=CONCAT(A749,B749)
माला रखने की थैली, साधू को अपनी बगली ही प्यारी होती है।।

मुफ्त का काम।
=CONCAT(A781,B781)
मुफ्त का काम।।

मानों कोई विलक्षण बात हुई।
=CONCAT(A794,B794)
मानों कोई विलक्षण बात हुई।।

मूर्ख को अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं होता। उसे तो पेट भरने से काम।
=CONCAT(A815,B815)
मूर्ख को अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं होता। उसे तो पेट भरने से काम।।


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