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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

पानी तो निम्न स्थल का अर्थात् गहराई, का, और अन्न कुठिया में रखा निर्दोष रहता है।

पक्षियों के पीने से समुद्र का जल कम नहीं होता।

पैसे के लिए सब कर्म करने पड़ते हैं।

पैसे के लिए आकाश में थींगरा लगाते हैं, अर्थात् संभव-असंभव सभी कार्य आदमी करता है।

पैसे से पैसा आता है, पैसे को पैसा खींचता है।

पैसा हाथ का मैल है, उसके आने का कोई सुख या जाने का रंज नहीं करना चाहिए।

पकने पर निबैरी भी मीठी लगती है।

पत्थर से ईट मुलायम होती है, दो हानिकर वस्तुओं में से जिससे कम हानि होने वाली हो, उसको ही स्वीकार कर लेना चाहिए।

पल में प्रलय होती है, क्षण भर में न जाने क्या से क्या हो सकता है।

परिश्रम की कमाई।


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