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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

पऊत बरा, कै पीलऊँ तेल
बरा बनाते हो, या पी लूँ तेल, जो मिलै वही सही, अथवा मेरा काम नहीं करते हो तो जो मन में आयेगा करूँगा।

पके पै निबौरी मिठात
पकने पर निबैरी भी मीठी लगती है।

पक्षे चोरी, पक्षे न्याय, पक्ष बिना सो मारो जाय
दुनिया में सब काम दूसरों के बल या तरफदारी से ही होते हैं।

पजे कपूत, कबूतर पाले, आदे गोरे, आदे कारे
निक्कमे लड़के के लिए।

पढ़िये भैय्या सोई, जामें हँड़िया खुदबुद होई
वही पढ़ो जिसमें रोटी खाने को मिले।

पड़े सुआ बिलइयन खाये
कोरे अक्षर-ज्ञान से क्या होता है, यदि उसके साथ बुद्धि विवेक न हो, तोता इतना पढ़ता है फिर भी उसके बिल्ली खा जाता है।

पड़ों तौ है, पै गुनो नइयाँ
केवल किताबी ज्ञान रखने वाले के लिए प्रयुक्त।

पतरीं चाटत फिरौ
जूँठन-खाते फिरोगे, बुरी गति होगी।

पथरा कों जोंक नई लगत
इसलिए कि उससे कुछ मिलने की आशा नहीं होती।

पथरा पै नाव चलावो
असंभव या अनहोना कार्य करना।


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