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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

पहिले अपना घर सँभाले, फिर बाहर।
=CONCAT(A683,B683)
पहिले अपना घर सँभाले, फिर बाहर।।

पहिले आगे बढ़ कर दुश्मन पर हाथ जमा देना चाहिए, बाद में अपने को सँभालना चाहिए।
=CONCAT(A684,B684)
पहिले आगे बढ़ कर दुश्मन पर हाथ जमा देना चाहिए, बाद में अपने को सँभालना चाहिए।।

पहिले कौंर में ही मक्खी पड़ी, कार्य के प्रारंभ में ही विघ्न हुआ।
=CONCAT(A685,B685)
पहिले कौंर में ही मक्खी पड़ी, कार्य के प्रारंभ में ही विघ्न हुआ।।

पहिला ग्राहक परमेश्वर के समान होता है, दुकानदारों का विश्वास।
=CONCAT(A688,B688)
पहिला ग्राहक परमेश्वर के समान होता है, दुकानदारों का विश्वास।।

पहिला सुख शरीर का नीरोग रहना, दूसरा घर में धन-संपत्ति का होना, तीसरा योग्य पुत्र का होना और चौथा पतिव्रता स्त्री का पाना है।
=CONCAT(A689,B689)
पहिला सुख शरीर का नीरोग रहना, दूसरा घर में धन-संपत्ति का होना, तीसरा योग्य पुत्र का होना और चौथा पतिव्रता स्त्री का पाना है।।

पेट तौ पौनी की तरह मुलायम परन्तु रोटियों का ढेर का ढेर बऊ ने खा लिया।
=CONCAT(A692,B692)
पेट तौ पौनी की तरह मुलायम परन्तु रोटियों का ढेर का ढेर बऊ ने खा लिया।।

प्रेम करने का यह फल कि स्वयं भी बदनाम हुए और हमें भी बदनाम कराया।
=CONCAT(A694,B694)
प्रेम करने का यह फल कि स्वयं भी बदनाम हुए और हमें भी बदनाम कराया।।

पहिनने को न तो फरिया न साड़ी, फिर भी अपने को बहुत सुन्दर समझती है।
=CONCAT(A696,B696)
पहिनने को न तो फरिया न साड़ी, फिर भी अपने को बहुत सुन्दर समझती है।।

पुरानी वस्तु को नयी बनाने का व्यर्थ प्रयत्न करना।
=CONCAT(A706,B706)
पुरानी वस्तु को नयी बनाने का व्यर्थ प्रयत्न करना।।

पराये धन को पाने के लिए हठ करना।
=CONCAT(A769,B769)
पराये धन को पाने के लिए हठ करना।।


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