Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten
पुण्य की जड़ गहरी होती है, किया हुआ सत्कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।
पुण्य की जड़ गहरी होती है, किया हुआ सत्कर्म कभी व्यर्थ नहीं जाता।।
पूर्व जन्म के फल भोग रहे हैं, प्रायः बीमार कहता है।
पूर्व जन्म के फल भोग रहे हैं, प्रायः बीमार कहता है।।
पूरा पड़ना, कार्य पूर्ण हो जाना, सत्यानश हो जाना।
पूरा पड़ना, कार्य पूर्ण हो जाना, सत्यानश हो जाना।।
पूस में कोई अनाज बोने की अपेक्षा तो अच्छा यह है कि उसे पीस कर खा ले।
पूस में कोई अनाज बोने की अपेक्षा तो अच्छा यह है कि उसे पीस कर खा ले।।
पेट की आग पेट ही जानता है, भूखे का कष्ट भूखा ही जानता है।
पेट की आग पेट ही जानता है, भूखे का कष्ट भूखा ही जानता है।।
पेट के लिए ही सब काम किया जाता है, जब किसी नौकर या मजदूर को मेहनताना कम मिलता है तब।
पेट के लिए ही सब काम किया जाता है, जब किसी नौकर या मजदूर को मेहनताना कम मिलता है तब।।
पेट में उर्द से पक रहे हैं, अनिष्ट की आशंका से घबराना, बहुत चिन्तत होना।
पेट में उर्द से पक रहे हैं, अनिष्ट की आशंका से घबराना, बहुत चिन्तत होना।।
पेट में मथानी सी फिर रही है, हृदय धड़क रहा है, घबराहट हो रही है।
पेट में मथानी सी फिर रही है, हृदय धड़क रहा है, घबराहट हो रही है।।
पेट के लिए अच्छे-बुरे सब कर्म करने पड़ते हैं।
पेट के लिए अच्छे-बुरे सब कर्म करने पड़ते हैं।।
पेट की चिन्ता सबको करनी पड़ती है।
पेट की चिन्ता सबको करनी पड़ती है।।