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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

पैरी ओढ़ी धन दिपै, लिपौ पुतौ घर खिलै
गहने-कपड़ों से सजी स्त्री शोभा देती है, लिपा-पुता घर अच्छा लगता है।

पैली छेरी, दूसरी गाय, तिसरी भैंस दुही न जाय
बकरी पहले ब्यान में, गाय दूसरे में, और भैंस तीसरे में अच्छा दूध देती है।

पैलें घर, पाछें बाहर
पहिले अपना घर सँभाले, फिर बाहर।

पैलें मार, पीछें सँभार
पहिले आगे बढ़ कर दुश्मन पर हाथ जमा देना चाहिए, बाद में अपने को सँभालना चाहिए।

पैलेई कौर माछी परी
पहिले कौंर में ही मक्खी पड़ी, कार्य के प्रारंभ में ही विघ्न हुआ।

पैलेई चूमा गाल काट खाये
किसी अवसर से अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए ऐसी हड़बड़ी करना कि सारा काम ही चौपट हो जाय तब।

पैले दिना कौ पाउनो, दूसरे दिना कौ पई, तीसरे दिना रये तौ बेसरम सई
किसी के घर एक दिन रहने वाला ही पाहुना कहलाता है, दो दिन रहे वह पथिक है और तीन दिन रहने वाले को पक्का बेशरम समझना चाहिए।

पैलो गाहक परमेश्वर बिरोबर होत
पहिला ग्राहक परमेश्वर के समान होता है, दुकानदारों का विश्वास।

पैलो सुक्ख निरोगी काया, दूजो सुक्ख होय घर माया, तीजो सुक्ख पुत्र अधिकारी, चौथी सुक्ख पतिव्रता नारी
पहिला सुख शरीर का नीरोग रहना, दूसरा घर में धन-संपत्ति का होना, तीसरा योग्य पुत्र का होना और चौथा पतिव्रता स्त्री का पाना है।

पोपाबाई कौ राज
अंधेरखाता कहा जाता है कि पोपाबाई गुजरात के एक छोटे प्रदेश की रानी थीं।


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