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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh : Bundeli Kahavaten

नींद बैरन हो गई
चिन्ता के कारण नींद न आने पर।

नीम न मीठे होयँ, खाओ गुर घी में
यह कहावत इसी रूप में प्रचलित है, परन्तु उसका शुद्ध रूप है।

नीन निमाने, अन्न कुठारे
पानी तो निम्न स्थल का अर्थात् गहराई, का, और अन्न कुठिया में रखा निर्दोष रहता है।

नेकी और पूँछ पूँछ
किसी भलाई करने में पूछना क्या।

नैकी कौ फल बदी
जब कोई किसी का उपकार करे और बदले में उल्टे बुराई हाथ लगे।

नौ की लकरियाँ, नब्बे खर्च
नौ रुपये की लकड़ियाँ लाने में नब्बे खर्च हो गये, बेतुका खर्च।

नौ खायें, तेरा की भूंक
लालची आदमी के लिए।

नौ दिन चले अढ़ाई कोस
बहुत सुस्त काम करने वाले के लिए।

नौ नगद न तेरा उधार
तेरह उधार में बचने की अपेक्षा नगर नौ में बेचना अच्छा, उधार का व्यापार ठीक नहीं।

नौ मईना मताई के पेट में कैसे रये हुइओ
नौ महीने माँ के पेट में कैसे रहे होगे, चंचल और ऊधमी लड़कों के लिए।


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