गले में पहिनने का चाँदी या सोने का आभूषण, खँगोरिया, हँसुली, ससुर को तो हल-बखर की पड़ी है और बहू को इस बात की कब मेरी हँसुली बने, सबको अपनी अपनी पड़ी रहती है।
गाँठ में तो पैसा नहीं परन्तु चीज खरीदने का शौक।
गाय सुहलाते ही पलहा गयी इच्छा होते ही किसी काम को करने के लिए तैयार हो जाना।