ऐसे आदमी के लिए प्रयुक्त जो खूब घिसा-पिसा और अनुभवी हो।
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=CONCAT(A415,B415)
ऐसे आदमी के लिए प्रयुक्त जो खूब घिसा-पिसा और अनुभवी हो।।
ऐसा व्यक्ति जो बहुत कम दिखायी दे, किसी प्रिय मित्र से बहुत दिनों बाद भेंट हो तब कहते हैं।
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=CONCAT(A446,B446)
ऐसा व्यक्ति जो बहुत कम दिखायी दे, किसी प्रिय मित्र से बहुत दिनों बाद भेंट हो तब कहते हैं।।
ऐन मौके पर कुछ करते-करते नहीं बनेगा, जो बात जहाँ है, वहीं रहेगी ।
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=CONCAT(A503,B503)
ऐन मौके पर कुछ करते-करते नहीं बनेगा, जो बात जहाँ है, वहीं रहेगी ।।
ऐसे आदमी के लिए कहते हैं जो किसी एक स्थान पर जम कर न बैठ सके।
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=CONCAT(A627,B627)
ऐसे आदमी के लिए कहते हैं जो किसी एक स्थान पर जम कर न बैठ सके।।
ऐसा आदमी जो दुनिया के सब रंग-ढंग देख चुका हो, किसी विषय में जिसका अनुभव बहुत दिनों का हो।
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=CONCAT(A661,B661)
ऐसा आदमी जो दुनिया के सब रंग-ढंग देख चुका हो, किसी विषय में जिसका अनुभव बहुत दिनों का हो।।
ऐसा विवाह जिसमें कोई अपनी लड़की का संबंध किसी के यहाँ करें तो उसके बदलें में उसकी लड़की के साथ अपने या अपने किसी निकट के रिश्तेदार के लड़के का संबंध करने को तैयार हो जाय।
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=CONCAT(A723,B723)
ऐसा विवाह जिसमें कोई अपनी लड़की का संबंध किसी के यहाँ करें तो उसके बदलें में उसकी लड़की के साथ अपने या अपने किसी निकट के रिश्तेदार के लड़के का संबंध करने को तैयार हो जाय।।
ऐसा आदमी जो बहुत दौड़ धूप करने पर भी काम में सफल न हो। न इधर का न उधर का। रेवन ककवारा ये दो गाँव झाँसी जिले में मऊ से गुरसराय जाने वाली सड़क पर पार ही पास है। कहानी है कि एक बार इन दोनों गाँवों में पंगत हुई।वहां एक कुतिया थी। उसने सोचा कि दोनों जगह का जूठन खाना चाहिए। पहिले रेवन गयी। जाकर देखा कि लोग अब भी भोजन कर रहे हैं। वहाँ विलम्ब देख कर विचार किया कि तब तक ककवारे में जाकर खा आऊँ। परन्तु वहाँ भी यही हाल देखा तो फिर रेवन वापिस आयी। वहाँ जाकर देखती क्या है कि लोग खाकर चले गये हैं और जूठन भी भंगी उठा वहाँ भी पंगत उठ गयी थी और जूठन का कहीं नाम नहीं था। इससे वह बड़ी निराश हुई और भूख के मारे दोनों गाँव के बीच में आकर मर गयी।
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=CONCAT(A934,B934)
ऐसा आदमी जो बहुत दौड़ धूप करने पर भी काम में सफल न हो। न इधर का न उधर का। रेवन ककवारा ये दो गाँव झाँसी जिले में मऊ से गुरसराय जाने वाली सड़क पर पार ही पास है। कहानी है कि एक बार इन दोनों गाँवों में पंगत हुई।वहां एक कुतिया थी। उसने सोचा कि दोनों जगह का जूठन खाना चाहिए। पहिले रेवन गयी। जाकर देखा कि लोग अब भी भोजन कर रहे हैं। वहाँ विलम्ब देख कर विचार किया कि तब तक ककवारे में जाकर खा आऊँ। परन्तु वहाँ भी यही हाल देखा तो फिर रेवन वापिस आयी। वहाँ जाकर देखती क्या है कि लोग खाकर चले गये हैं और जूठन भी भंगी उठा वहाँ भी पंगत उठ गयी थी और जूठन का कहीं नाम नहीं था। इससे वह बड़ी निराश हुई और भूख के मारे दोनों गाँव के बीच में आकर मर गयी।।
ऐसे व्यक्ति के लिए प्रयुक्त जिसके रहने का कोई पक्का ठिकाना न हो।
ऐसे निश्चिन्त मनुष्य का कथन जिसे किसी का कुछ लेना-देना नहीं।
ऐसे काम में पड़ना जिसमें व्यर्थ की खींचातानी सहनी पड़े।