साधक दुःखान्त प्राप्ति के लिए परम-सत्ता का ध्यान करता है। ध्यान नामरुपात्मक होता है, उसका नाम ओंकार माना गया है। परमशिव एकमात्र स्वतंत्र तत्व है और ऊँकार के जप के साथ भगवान शिव की स्मृति का अभ्यास किया जाता है। (पा. सू. कौ. भा. पृ. 125, ज.का.टी.पृ. 11)।