एक प्रकार का अभिकलित्र जो तुल्य विद्युत्-परिपथ की मदद से अनेक समस्याओं का समाधान करता है एवं चरों को उसके संगत भौतिक घटनाओँ में परिवर्तन करके मापता है। अनुरूप अभिकलित्र सन्निकट समाधान देता है जबकि अंकीय अभिकलित्र बिल्कुल सही समाधान देता है।
analog converter
अनुरूप परिवर्तक
एक ऐसा परिवर्तक जो अनुरूप अभिकलित्र के निर्गत सिग्नलों को जो कि भौतिक गति अथवा वैद्युत वोल्टता आदि के रूप में होते हैं ऐसे समानुपाती अंकीय निरूपण में परिवर्तित कर देता है जिनका उपयोग अंकीय अभिकलन-तंत्र में किया जा सके। इसे अंकरूपक भी कहते हैं।
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अनुरूप / अंकीय परिवर्तक
एक ऐसा परिवर्तक जो अनुरूप अभिकलित्र के निर्गत सिग्नलों को जो कि भौतिक गति अथवा वैद्युत-वोल्टता आदि के रूप में होते हैं ऐसे समानुपाती अंकीय निरूपण में परिवर्तित कर देता है जिनका उपयोग अंकीय अभिकलन-तंत्र में किया जा सके। इसे अंकरूपक भी कहते हैं।
analysis
विश्लेषण
1. (किसी समस्या के संबंध में) दिए गए आंकड़ों, अन्य संबद्ध आंकड़ों, प्राप्य परिणामों तथा बीच के चरणों को गणितीय भाषा में प्रस्तुत करना
2. गणित की वह शाखा जिसमें मुख्यतः कलन संबंधी विषयों, विशेषतः सीमा-प्रक्रमों का प्रयोग होता है । संस्थिति-विज्ञान इसकी एक शाखा है । समाकलन-गणित और अवकलन गणित भी इसके अंतर्गत आते हैं ।
analysis
विश्लेषण
किसी जटिल वस्तु का उसके सरल अवयवों में विभाजन करना, जैसे प्रकाश का स्पेक्ट्रमीय विश्लेषण।
analysis
विश्लेषण
(1) गुणात्मक विश्लेषण विभिन्न विधियों द्वारा पदार्थों या पदार्थों के मिश्रण में विद्यमान घटकों की पहचान करना।
(2) मात्रात्मक विश्लेषण- किसी मिश्रण या यौगिक में उपस्थित तत्व या समूह की मात्रा का आकलन करना ।
analytical chemistry
वैश्लेषिक रसायन
रसायन की वह शाखा जिसके अन्तर्गत किसी पदार्थ अथवा उसके किसी अंश का, चाहे वह तत्व हो या मूलक, गुणात्मक परीक्षणों द्वारा आकलन किया जाता है। इसके लिए अवक्षेपण, अनुमापन और विलायक-निष्कर्षण आदि पुरानी विधियों का अब भी अक्सर प्रयोग किया जाता है। साथ ही साथ हिमांकमापी, रेडॉक्स तथा दाबमितीय (उन अभिक्रियाओं के लिए जिनसे गैसीय उत्पाद प्राप्त होते है) आदि नई अनुमापन विधियों और फ्लुओराइड सुग्राही इलेक्ट्रोड का भी अब प्रयोग होने लगा है। पिछले कुछ दशकों में, विशेष रूप से न्यूक्लीय विज्ञान के आविष्कार के बाद, अनेक नई तकनीकों का भी विकास हुआ है। इनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं-
(1) अवरक्त, पराबैंगनी और एक्स-किरण स्पेक्ट्रमिकी-इन विधियों के द्वारा धात्विक तत्व की उपस्थित और मात्रा का पता उस तत्व के उत्सर्जन या अवशोषण स्पेक्ट्रम में रेखाओं द्वारा लगता है।
(2) वर्णमिति- इसके द्वारा किसी विलयन में विद्यमान पदार्थ की प्रतिशत मात्रा का निर्धारण रंग की तीव्रता से किया जाता है।
(3) विभिन्न वर्णलेखकी-किसी द्रव या गैसीय मिश्रण के अवयवों का निर्धारण उसे किसी सरंध्र-पदार्थ-स्तम्भ से भेजकर अथवा सूक्ष्म विभाजित ठोसों की पतली पर्तों से भेजकर किया जाता है।
(4) आयन-विनिमय-स्तम्भों द्वारा मिश्रणों का पृथक्करण ।
(5) रेडियोऐक्टिव अनुरेखक विश्लेषण- प्रकाशिक और इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शिकी, द्रव्यमाम स्पेक्ट्रममिति, सूक्ष्म-विश्लेषण नाभिकीय चुंबकीय-अनुनाद की तकनीक तथा हाल में विकसित एन.क्यू.आर. स्पेकट्रमिकी आदि। उपर्युक्त सभी तकनीकों का प्रयोग आजकल वैश्लेषिक रसायन में किया जाता है।
AND gate
AND गेट, अथ द्वार
अंकीय अभिकलित्रों (कंप्यूटरों) में काम आने वाला एक बहुनिवेश टर्मिनल वाला गेट परिपथ। इसमें तब तक कोई सिग्नल प्राप्त नहीं होगा जब तक कि सभी निवेश टर्मिनलों पर एक साथ स्पंद न लगे । इसे AND परिपथ संपात गेट भी कहते हैं।
AND gate
AND गेट, अथ द्वार
अंकीय अभिकलित्रों में काम आने वाला एक बहुनिवेश टर्मिनल वाला गेट परिपथ। इसमें तब तक कोई भी निर्गत सिग्नल प्राप्त नहीं होगा जब तक कि सभी निवेश टर्मिनलों पर एक साथ स्पंद न लगे। इसे AND परिपथ संपात गेट भी कहते हैं।