दोलन किरणदर्श में काम आने वाला एक सिग्नल प्रवर्धक जो क्षैतिज प्रक्षेप उत्पन्न करता है । इसे क्षैतिज प्रवर्धक भी कहते हैं ।
x-ray diffraction
ऐक्स-किरण विवर्तन
क्रिस्टल-संरचना के अध्ययन की एक महत्वपूर्ण तकनीक । इसका आविष्कार 1912 में वान लाउए ने तथा क्रिस्टल विश्लेषण के लिए इसका विकास 1912-13 में डब्लू.एच. ब्रैग और डब्ल्यू. एल. ब्रैग ने किया था । किसी क्रिस्टल जालक में विद्यमान परमाण्विक नाभिक, विवर्तन ग्रेटिंग की भांति कार्य करते हैं क्योंकि परमाणुओं की पंक्तियों के बीच कुछ ऐंग्स्ट्रम मात्रकों का अंतराल होता है जो ऐक्स किणों के तरंगदैर्ध्य के तुल्य होता है । क्रिस्टल द्वारा किरणों का प्रकीर्णन विशेष दिशाओं में ब्रैग समीकरण (nλ = 2d sin θ ) के अनुसार होता है । एकल क्रिस्टलों, पाउडरों, रेशों आदि के अध्ययन के लिए ऐक्स-किरण विवर्तन को प्रयुक्त करने की अनेक तकनीकें ज्ञात हैं और संगणन द्वारा रिकार्ड किए गए ऐक्स-किरण प्रतिरूप की सहायता से अत्यन्त संकुल अणुओं के 3-विमीय इलेक्ट्रॉन घनत्व चित्रों को आलेखित करना संभव है ।
X-rays
X- किरणें
पराबैंगनी और गमा किरणों के मध्य 10 से 0-01nm तक की अति लघु तरंग दैर्ध्यों वाले विद्युत्चुंबकीय विकिरण । इन किरणों की उत्पत्ति निर्वात में किसी धात्वनिक लक्ष्य के साथ अत्यधिक त्वरित इलेक्ट्रॉनों के संघट्ट से होती है । इस प्रक्रम में लक्ष्य के नाभिकों के चारों ओर स्थित प्रबल वैद्युत् क्षेत्रों में से गुजरते हुए इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा कम हो जाती है जिसके फलस्वरूप ब्रेमस्ट्रालुंग और फिर सतत X- किरण स्पेक्ट्रम प्रगट होता है । X-किरणें परमाणुओं का उच्च ऊर्जा वाली अवस्थाओं से निम्न ऊर्जा वाली (K,L.......आदि) अवस्थाओं में संक्रमण होने से भी उत्पन्न होती हैं । इस प्रकार की X-किरणों को अभिलक्षणिक X-किरण कहते हैं । हाल ही में ऊपरी वायुमंडल में उपग्रहों द्वारा पृथ्वी से लगभग
1000 किलोमीटर की ऊँचाई पर तीव्र X-किरणों की उत्पत्ति सूर्य के कण-विकिरणों संभवतया इलेक्ट्रॉनों और प्रोटॉनों के द्वारा मानी जाती है । X-किरणों का संसूचन फोटोग्राफीय विधि से प्रतिदीप्ति द्वारा अथवा गैसों में उत्पन्न होने वाले आयनन द्वारा होता है । इनकी वेधन क्षमता का उपयोग चिकित्सा के क्षेत्र में किया जाता है तथा इनका विवर्तन प्रभाव क्रिस्टल संरचना के X-किरण विश्लेषण में काम आता है ।
X-unit
X- मात्रक (Xu)
किरण अथवा गामा किरणों की तरंगदैर्ध्यों का एक मात्रक जो 10-4nm के बराबर होता है । अधिक यथार्थता के साथ 1Xu = (1.002020±00003) x 10-4nm
x-y recorder
x-y अभिलेखी
एक प्रकार का अभिलेखी जो किसी चार्ट पर दो ऐसे चरों के संबंध का अनुरेख बनाता है जिसमें से कोई भी चर "समय" नहीं है । कभी-कभी चार्ट को समय के अनुपात में चलाया जाता है और चरों में से एक या इस प्रकार नियंत्रण किया जाता है कि यह समय के अनुपात में बढ़ता जाता है । तब इसे x-y-t अभिलेखी कहते हैं ।
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x-y switch
x-y स्विच
चपटे रूप से रखा गया एक दूरनियंत्रित स्थिर संपर्क और मार्जक प्रकार का स्विच । इस स्विच में मार्जकों को क्षैतिज समतल में पहले तो एक दिशा में चालाया जाता है और फिर दूसरी दिशा में ।
xerography
जीरोग्राफी
स्थिर वैद्युत् प्रकार की विद्युत् फोटोग्राफी की एक शाखा जिसमें अवरक्त दृश्य अथवा पराबैंगनी विकिरण की सहायता से सिलिनियम लेपित जैसे किसी प्रकाशचालकीय पृष्ठ पर एक स्थिरवैद्युत् प्रतिबिंब क्षेत्रों में एक प्रकार का विपरीत आवेश वाला सूक्ष्म काला अथवा रंगीन रेजिनी चूर्ण आकर्षित होकर चिपक जाता है । यह रेजिनी चूर्ण टोनर (toner) कहलाता है । चूर्णप्रतिबिंब कागज के पन्ने पर स्थानांतरित हो जाता है जिसे फिर ऊष्मा द्वारा स्थायी रूप से जमा दिया जाता है ।