तीन शाखाओं वाला एक तारानुमा परिपथ-जाल । इसे तारा-संबंधन भी कहते हैं ।
yagi antenna
यागी ऐंटेना
कम अंतराल वाली ऐंटेनाओं का एक समूह जिसमें अल्पतम आकार के साथ दैशिकता प्राप्त करने के लिए एक ऊर्जित ऐंटेना और अन्य कई समांतर पराश्रयी ऐंटेनाएँ एक सीधी पंक्ति में व्यवस्थित होती हैं। ऊर्जित एंटेना विकिरक होती है जिसके एक ओर परावर्तक होता है और दूसरी ओर (0.1-0.15) के अंतराल सहित एक सीधी पंक्ति में दिशक होते हैं । इष्ट दैशिकता प्राप्त करने के लिए दिशकों और परावर्तक का इस प्रकार समंजन किया जाता है कि परावर्तक को विकिरित आवृत्ति से कुछ कम आवृत्ति पर और दिशकों को कुछ अधिक आवृत्ति पर समस्वरित किया जाए ।
yard
गज
ब्रिटिश मानक गज़, जो लंदन के बोर्ड ऑफ ट्रेड में रखे हुए कांस्य (bronze) के दंड में लगे हुए दो सोने के प्लगों (plugs) में खिंची हुई दो रेखाओं के बीच की दूरी के बराबर होता है । यह दूरी 620F के ताप पर नापी जाती है ।
year
वर्ष
1. पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने का समय । एक वर्ष = 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 45.51 सेकंड ।
2. सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में पृथ्वी द्वारा लिया गया समय ।
yoke
योक्त्र
एक अथवा अनेक विद्युत् चुंबकों का एक समुच्चय जिसे किसी इलेक्ट्रॉन किरणपुंज नलिका की गर्दन के चारों ओर रखा जाता है ।
ताकि एक अथवा अधिक इलेक्ट्रॉन किरण पुंजों के विक्षेप के लिए चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो सके इसे विक्षेपी योजक भी कहते हैं । चित्र में कैथोड किरण नलिका की गर्दन के चारों ओर लगने वाला एक सरल योजक दिखाया गया है ।
Young`s modulus of elasticity
यंग का प्रत्यास्थता गुणांक
हुक के नियम (Hookes Law) के अनुसार प्रत्यास्थ पदार्थ की विकृति उसमें उत्पन्न प्रतिबल की समानुपाती होती है और प्रतिबल तथा विकृति का अनुपात प्रत्यास्थता गुणांक कहलाता है । यदि वस्तु पर प्रतिबल इस प्रकार लगे कि उसकी विकृति केवल लंबाई की दिशा में ही हो तो तनन, प्रतिबल और तनन -विकृति के अनुपात को यंग का प्रत्यास्थता गुणांक कहते हैं । यदि किसी प्रत्यस्थ वस्त के बने तार की लंबाई `L` हो और उससे M gm भार लटकाने पर लंबाई में परिवर्तन `I` हो तो यंग का गुणांक = प्रतिबल / विकृति, Y = Mg/πr2 / I/L = MgL/πr2I (r तार की त्रिज्या है और g गुरूत्वीय त्वरण है ) ।
ytterbium
इटर्बियम
तीसरे वर्ग का विरल मृदा धात्विक तत्व । परमाणु-क्रमांक 70, परमाणु भार 173.04, प्रतीक Yb, संयोजकता 2,3 । यह ऐल्फा और बीटा रूपों में पाया जाता है । इसके (168-176) सात प्राकृतिक समस्थानिक और अनेक रेडियो-समस्थानिक होते हैं । यह आघातवर्ध्य है । गलनांक 8240, क्वथनांक 14270, आ.घ. 7.01 । यह पानी के साथ धीरे-धीरे क्रिया करता है । यह तनु अम्लों और द्रव अमोनिया में विलेय है । यह इटंर्बियम ऑक्साइड के लैन्थेनम या मिश धातु द्वारा अपचयन से प्राप्त होता है । इसका उपयोग लेसर, सुवाह्य किरण स्रोत और रासायनिक अनुसंधान में होता है ।
तीसरे वर्ग का संक्रमण धात्विक तत्व । परमाणु-क्रमांक 39, परमाणु भार 88.905, प्रतीक Y, प्राकृतिक समस्थानिक 89, गलनांक 15000 क्वथनांक 29270, आ.घ. 4.47, संयोजकता 3 । यह लैन्थेनाइड तत्वों के लगभग सभी अयस्कों में पाया जाता है । यह तनु अम्लों और पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में विलेय है और पानी का अपघटन कर देता है । यह इट्रियम फ्लुओराइड के कैल्सियम के साथ अपचयन से प्राप्त होता है । इसका उपयोग नाभिकीय शिल्पविज्ञान, लोहे और अन्य मिश्रातुओं, तापदीप्त गैस मैंटलों, वैनेडियम और दूसरे अलौह धातुओं के विऑक्सीकारक के रूप में, सूक्ष्म तरंग फैराइटों, उच्च ताप मिश्रातुओं पर लेप करने तथा विशेष अर्धचालकों में होता है ।
नाभिकीय बलों के मेसॉन सिद्धांत में काम आने वाला एक नाभिकीय विभव जो दो न्यूक्लिऑनों की पारस्परिक क्रिया की विशेषता बताता है । यह विभव निम्नलिखित समीकरण से दर्शाया जाता हैः V = V0/r e - r/b जिसमें Vo और b स्थिरांक हैं और r न्यूक्लिऑनों की परस्पर सापेक्ष दूरी है ।
इस विभव का उपयोग नाभिकीय संरचना को समझने के लिए नाभिकीय विभव-कूप का आकार बनाने में किया जाता है । यूकावा विभव की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
1. r = 0 पर अनंत प्रबलता ।
2. एक चर घातांकी पुच्छ जो कूलाम विभव की अपेक्षा r के बड़े मानों तक काफी प्रबल बना रहता है ।