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Definitional Dictionary of Archaeology (English-Hindi)
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triangulation
त्रिभुजन पुरातात्विक उत्खनन में प्रयुक्त सर्वेक्षण-प्रविधि, जिससे किसी दो ज्ञात बिंदुओं से त्रिभुज के तीसरे बिंदु को निर्धारित किया जाता हैं।

trident
त्रिशूल वह अस्त्र या उपकरण जिसके सिरे पर तीन नोकदार फल बने होते हैं। प्राचीन काल से प्रतीक के रूप में इस अस्त्र का प्रयोग होता रहा है। भारत में त्रिशूल को शिव का और रोम में पोसिडोन (Posedion) का अस्त्र माना गया है।

trilithon (=trilith)
त्रिपाषाण वह संरचना, जिसमें दो स्तंभाकार रूप में खड़े पत्थरों पर घरण या उष्णीय के रूप में तीसरा पत्थर क्षैतिजाकार रखा हो। इस प्रकार की संरचनाएँ महाश्म स्मारकों में मिलती हैं। इस संरचना का उत्कृष्टतम नमूना इंग्लैंड के स्टोनहेंज स्मारक में देखने को मिलता है जिसमें 50 टन वजन के पत्थर बड़ी कुशलता से प्रयुक्त हुए हैं।

trim
1. कर्तन, कतरना काटना-छाँटना, अनावश्यक या बेडौल भाग को अलग करना। किसी उपकरण के अनावश्यक और बेडौल भाग को शल्कित कर अलग करना। प्रागैतिहासिक काल में, पाषाण-उपकरणों को सुंदर बनाने के लिए छोटे-छोटे शल्क निकाले जाते थे। भारतीय मुद्राशास्त्र में, आहत मुद्राओं के निर्माण में कर्तन पद्धति का प्रयोग होता था। 2. सँवारना किसी वस्तु को ऐसा रूप देना कि देखने में आकर्षक या सुंदर प्रतीत हो।

tripod
त्रिपाद, तिपाई तीन पायों के आधार पर खड़ी टिकटी। प्राचीन यूनान में, इस प्रकार की तिपाई के ऊपर डेल्फी के मंदिर की पुजारिन बैठकर देववाणी का पाठ किया करती थी। भारत में प्राप्त हिंद-यूनानी शासक अपोलोडोटस के सिक्कों पर 'त्रिपाद' चिह्न अंकित है।

triquetra
त्रिकोण अलंकरण तीन कोनों से युक्त अभिप्रायों का त्रिभुजाकार अलंकरण।

Triton
ट्रीटन यूनानी मिथकविद्या में वर्णित वह समुद्री अर्ध देवता, जिसका निचला भाग मछली जैसा और ऊपर का भाग मानव जैसा बना था। इसका प्रमुख प्रतीक शंख था यह पोसीडोन और एम्फिट्राइट की संतान कहा गया है। प्राचीन यूनानी कला में, इस देवता का अनेक स्थलों पर चित्रण हुआ है। भारतीय कला में, इस जैसा प्रतीक मत्स्य-कन्या (mermaid) है, जिसकी विभिन्न आकृतियाँ मथुरा और अमरावती आदि में प्राप्त शिलापट्टों पर अंकित मिली हैं।

tropaeum (=tropaion)
कीर्ति-स्तंभ, विजयस्मारक किसी महत्वपूर्ण विजय की स्मृति में बनी इमारत या किसी की कीर्ति को स्थायी रूप देने के लिए स्थापित स्तंभ। प्राचीन यूनान में, युद्ध में हथियाए गए अस्त्र-शस्त्र आदि, जिन्हें प्राचीन रोम में ट्राफी कहा जाता था, स्मारक के रूप में रखे जाते थे। प्राचीन रोम में इस तरह के स्मारकों को स्थायी भवनों के रूप में विजित आयुधों, ढालों तथा समुद्री पोतों के अग्र भाग आदि की आकृतियों को उद्भृत कर अलंकृत किया जाता था। भारत में, इस प्रकार के कीर्ति-स्तंभों के उदाहरण, प्रयाग में समुद्रगुप्त का प्रशस्ति-स्तंभ, मंदसोर में यशोधर्मन के कीर्ति-स्तंभ तथा चितौड़ में राणा कुंभा का कीर्ति-स्तंभ है।

Troy
ट्राय उत्तरी-पश्चिमी तुर्की में स्थित एक प्राचीन महत्वपूर्ण स्थल जिसकी पहचान आधुनिक हिस्सारलिक टीले के साथ सर्वप्रथम ई. 1871 में जर्मन पुराविद् श्लीमन ने की। इस स्थल का विस्तृत विवरण होमर के 'इलियड' नामक महाकाव्य एवं यूनानी कथाओं में मिलता है। 1871-1930 के मध्य इस स्थल का उत्खनन श्लीमन, डार्पफेल्ड तथा ब्लेगन द्वारा कराया गया। उत्खनन के फलस्वरूप नौ सांस्कृतिक कालों का पता लगा। प्रथम काल का प्रारंभ (Troy I) लगभग ई. पू. 3000 में हुआ जब यहाँ पर एक छोटा-सा प्राचीरयुक्त प्रासाद था। द्वितीय काल (Troy II) में यहाँ एक सुंदर और समृद्ध नगर विकसित हुआ। इसी काल (ई. पू. तृतीय सहस्त्राब्दि का उत्तरार्ध ) के एक खजाने से जिसे प्रियम राजा का खजाना (Prium's tresury) कहा जाता है सोने, चाँदी और कांस्य के लगभग आठ हजार आभूषण मिले। श्लीमन ने इसी काल के ट्राय की पहचान होमर के इलियड में वर्णित ट्राय से की। तीसरे, चौथे और पाँचवें काल की कांस्यकालीन सांस्कृतिक चरणों में कोई विशेष प्रगति नहीं दिखाई पड़ती है। छठें काल (Troy VI) में (ई. पू. 1800-1300) इसका विस्तार 5 एकड़ क्षेत्र में हुआ और चारों और द्वारयुक्त प्राचीर निर्मित किया गया। घोड़ों के प्रयोग से इस काल के लोग परिचित थे और वे शवों का दाह-संस्कार करते थे। नवीन प्रकार के मिनयन भांडों का निर्माण होने लगा। इन्हीं नवीन सांस्कृतिक तत्वों के आधार पर हार्पफेल्ड ने इस सांस्कृतिक चरण के ट्राय की पहचान होमर द्वारा वर्णित ट्राय के साथ की। इस काल का विध्वंस भूचाल से हुआ। सातवाँ काल (Troy VII) पूर्ववर्ती परंपरा का ही घटिया रूप था जिसका विनाश ब्लेगेन के अनुसार हेलेन की खोज में निकले एकियन सम्राट द्वारा लगभग ई. पू. 1260 में किया गया। आठवाँ काल (Troy VIII) ई. पू. 700 में यूनानियों के यहाँ पर बसने के साथ प्रारंभ हुआ तथा नवाँ काल (Troy IX) हेलिनिस्टिक एवं रोमन सभ्यता का काल है। इसके बाद यह फिर कभी नहीं बसा।

trumpet
तूर्य, तुरही फूँककर बजाया जानेवाला एक प्रकार का वाद्ययंत्र, जो आकार में लंबा होता है। साँची, भरहुत आदि की कला में तूर्य के सुंदर उदाहरण मिले हैं।


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