तुंब-दस्युता वृत्त
मिस्र के प्राचीन नगर थीब्ज (Thebes) के पश्चिमी किनारे पर स्थित शाही तुंबों तथा दूसरे पवित्र स्थलों की चोरी के संबंध में बीसवें राजवंश के अंतिम काल में ई. पू. 1100 के आसपास पेपीरस कागज़ पर हाईरेटिक शैली में लिखी गई एक सरकारी रिपोर्ट। विगत काल में हुई तुंबों की लूट का तो इसमें विस्तृत उल्लेख हैं ही, चोरों को पकड़ने के लिए उठाए गए कारगर कदमों का भी इसमें वर्णन किया गया है। प्राचीन मिस्र की तत्कालीन विधि-प्रक्रिया की जानकारी इस वृत्त से मिलती है।
tool
औज़ार, उपकरण
हाथ से प्रयुक्त बड़े या छोटे आकार के उपस्कर या औज़ार। इन उपकरणों के अध्ययन से ही हमें मानवीय सभ्यता के उद्भव एवं उसके क्रमिक विकास का इतिहास ज्ञात होता है। मानव की परिभाषा ही है 'उपकरणों का निर्माता प्राणी'।
tope
स्तूप
मिट्टी या पत्थर का वह गोलाकार टीला या भवन, जिसमें भगवान बुद्ध या किसी बौद्ध महात्मा के दाँत, केश, अस्थि, आदि स्मृति चिह्नों को सुरक्षित रखा गया हो।
tore (=torque)
कंठा, ग्रैवेयक, हँसली
प्राचीन काल से प्रचलित, गले में पहना जानेवाला गोल आकार का आभूषण।
प्रारंभिक कांस्ययुगीन मध्य यूरोप की संस्कृतियों में इस प्रकार के आभूषणों के प्रयोग के प्रमाण, विशेषतः यूनेटिस (Unetice) संस्कृति, से प्रारंभ हो जाते हैं परन्तु इसका विस्तृत प्रयोग परवर्ती लौहयुगीन संस्कृतियों लातेन (La tene) में मिलता है। कांस्य के अतिरिक्त ये सोने, चाँदी आदि के बने भी मिले हैं।
प्राचीन बर्बर गॉल, जर्मन तथा ब्रिटेन लोग इन्हें गले में धारण करते थे। भारतवर्ष में भी प्राचीन काल से आज तक इस प्रकार के आभूषणों का प्रयोग होता चला आ रहा है। ईसवी पूर्व लगभग 200 वर्ष से भारतीय मूर्तिकला में भी इन आभूषणों का प्रयोग मिलता है।
torii
तोरण-द्वार
जापान के शितो मंदिर का प्रवेश-मार्ग, जिसे दो खड़े स्तंभों पर उष्णीष स्थापित कर बनाया गया है। भारत में, इस प्रकार के तोरण द्वार साँची, भरहुत आदि में मिले हैं।
torso
कबंधमूर्ति, धड़-प्रतिमा
वह मानव-मूर्ति, जिसमें गले के नीचे से लेकर कमर तक का भाग ही बना हो, विशेषकर वे मूर्तियाँ, जिनका ऊपरी भाग ही बना हो और सर और कमर के नीचे के अंग खंडित हों, यथा बिना सिर की धड़ मूर्ति।
हड़प्पा में इस प्रकार का बिना सिर-पैर का धड़ मिला है, जो नृत्य मुद्रा में है।
tortoise amulet
कच्छप ताबीज़
कछुए के आकार जैसा बना, गले या बाँह में बाँधने का ताबीज़, जो अनिष्ट निवारण हेतु धारण किया जाता था।
प्राचीन भारतीय कला में, यह अलंकरण विशेष रूप में मिला है। कच्छप आकार के ताबीज़ विभिन्न पत्थरों में बने मिले हैं।
tortoise core
कच्छप क्रोड
ल्वाल्वाई शल्कीकरण विधि द्वारा निर्मित वह क्रोड जिसका एक तल कछुए की खोल की तरह तथा दूसरा तल सपाट हो। इस प्रकार के क्रोड प्रायः अंडाकार होते हैं। कोर के उत्तल पर चारों ओर से केंद्रोन्मुख संधात से निकाले गए फलकों के चिह्न वर्तमान रहते हैं जिससे वह कछुए की खोल की तरह दिखता है। प्रायः क्रोड के एक किनारे पर कृत्रिम आघात-स्थल बनाने के प्रमाण भी विद्यमान रहते हैं।
इस प्रकार के क्रोड परवर्ती निम्न पूर्व पाषाण काल से ही मिलने लगते हैं तथा इसका विस्तृत प्रयोग मध्य पूर्व पाषाणकालीन मोस्तारी (Mousterian) संस्कृतियों में दिखाई पड़ता है। भारत में उत्कृष्टतम कच्छप क्रोडों का प्रयोग उच्च पूर्व पाषाणकाल में होता था।
tourelle
छोटी मीनार
धरातल से बहुत ऊँची ऊपर उठी वर्गाकर या वृत्ताकार टोड़ी युक्त वास्तु-संरचना जो अपनी परिधि की तुलना में काफी ऊँची बनी होती है।