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Definitional Dictionary of Archaeology (English-Hindi)
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river section
नदी-अनुप्रस्थ नदी द्वारा काटे गए कगार। प्रागैतिहासिक काल की सापेक्षिक काल-निर्धारण में इसका विशेष महत्व है। नदी-अनुप्रस्थ में विभिन्न कालों के जमाव स्पष्टतः दृष्टिगोचर होते हैं। इन जमावों को भूमि के रंग तथा उनकी सामग्री के आधार पर एक-दूसरे से विभक्त किया जा सकता है। प्रत्येक जमाव नदी के जीवन-काल के विभिन्न कालों के द्योतक हैं। पहाड़ी नदियों के जमाव तीन प्रकार के होते हैं- (1) गोलाश्म निक्षेप, (2) बजरी निक्षेप (gravel deposit) एवं (3) गाद निक्षेप (silt deposit)। नदी-अनुप्रस्थ में प्राप्त निक्षेपों में मिले पत्थरों के आकार-प्रकार, उनके जमाव और घर्षण की दशा, दिशा या अवस्था का अध्ययन कर तत्कालीन जलवायु और नदी के स्वरूप संबंधी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। जब इन जमावों में प्रागैतिहासिक उपकरण मिलते हैं तो उपयुक्त संकेतों के आधार पर उनके आवासों की खोज की जा सकती है।

rock cut architecture
शैलकृत वास्तु चट्टानों को काट कर बनाए गए भवन या मंदिर। विशाल शिलाओं या पहाड़ियों के किसी भाग को काट-छाँट कर इन्हें बनाया जाता था। मिस्र देश में, अबू-सिम्बेल, उत्तरी अरेबिया में पिट्रा तथा भारत में कार्ले, भाजा, अजंता की गुफाएँ, एलोरा का कैलाश मंदिर तथा मामल्लपुरम के रथ-मंदिर शैलकृत वास्तु के सर्वोत्कृष्ट नमूने हैं।

rock cut edict
शिलोत्कीर्ण राजादेश, शिलोत्कीर्ण धर्मादेश शासन द्वारा शिलाओं पर उत्कीर्ण अभिलेख। सम्राट अशोक ने अपने शिलालेखों में उत्कीर्णित लेखों को 'धर्म-लिपि' (धम्मलिपि) बताया।

rock inscription
शिलालेख किसी शिला या पत्थर पर खोदकर लिखा गया अभिलेख; शिलोत्कीर्ण लेख।

rock painting
शैल-चित्र प्राकृतिक गुफाओं या मानव-निर्मित शिला-आवासों की दीवारों पर बने चित्र। प्रागैतिहासिक काल से शैल-चित्रों का निर्माण होता आ रहा है। भारतवर्ष में, प्रागैतिहासिक शिलागृह चित्र मध्यप्रदेश के अनेक स्थलों, यथा आदमगढ़, आबचंद, भीमबैठका, पंचमढ़ी आदि में बहुलता से मिले हैं। इन चित्रों में अनेक प्राकृतिक रंगों का प्रयोग हुआ है और उनसे तत्कालीन मानव-जीवन की झाँकी मिलती है। विश्व में सबसे प्राचीन एवं उत्कृष्ट शैल-चित्र उच्च-पूर्व पाषाणकालीन स्पेन (अल्टामिरा) तथा फ्रांस लास्को (Lascaux) की गुफाओं में मिले हैं।

rock shelter
शैलाश्रय चूने पत्थर की अति प्रवण पहाड़ी (भृगु) के नीचे या उनके बीच में प्राकृतिक रूप से बना आश्रयस्थल। शैलाश्रय गुफा की तरह गहरा नहीं होता, पर शैलाश्रयों के वितान काफी बड़े मिले हैं, जिनमें पर्याप्त संख्या में मनुष्य निवास करते होंगे। प्रागैतिहासिक मानवों तथा उनके द्वारा प्रयुक्त वस्तुओं के अवशेष शैलाश्रयों में मिले हैं। मानव आवास के रूप में शैलाश्रयों का उपयोग पूर्वपाषाण काल के परवर्ती चरण से मिलते लगता है।

Roman architecture
रोमन स्थापत्य रोम साम्राज्यकालीन वह वास्तुकला, जो इटली, यूरोप, उत्तरी अफ्रीका तथा पश्चिम एशिया के देशों में अब भी विद्यमान है और जिसका काल ई. पू. 146 से ई. 365 तक रहा। इस युग की स्थापत्य कला में ज्वालामुखी-कंकरीट, ईंट, पत्थर तथा संगमरमर का प्रयोग हुआ है। रोमन लोगों ने, यूनानी-धरणिक शैली (trabeated Greek style) तथा एट्रस्कनी मेहराबदार संरचनाओं को सम्मिलित कर एक नवीन शैली को जन्म दिया। उनकी वास्तुकलात्मक संरचनाएँ जल-सेतु, सार्वजनिक स्नानागार, प्राचीर, पुल तथा समाधिमंडप के रूप में आज भी विद्यमान हैं।

Romanesque style
रोम प्रभावित कला रोम की कला से प्रभावित वास्तु कला या कलाशैली।

Ropar
रोपड़ सतलज नदी के किनारे स्थित एक महत्वपूर्ण पुरास्थल। 21 मीटर ऊँचे इस टीले की खुदाई 1952 से 1955 तक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तत्वावधान में हुई। खुदाई में निम्नलिखित 6 कालों का पता चला है जिनके अवशेष निश्चित क्रमबद्ध स्तरों में मिले हैं :- 1. हड़प्पा काल, लगभग ई. पू. 2100 से ई. पू. 1400; 2. चित्रित धूसर मृद्भांड (PGW), लगभग ई. पू. 1000 से ई. पू. 600; 3. उत्तरी कृष्ण मार्जित मृद्भांड (NBPW), या प्रारंभिक ऐतिहासिक लगभग ई. पू. 600 से ई. पू. 200; 4. मध्य ऐतिहासिक से परवर्ती ऐतिहासिक, लगभग ई. पू. 200-ई. 700 तक; 5. परवर्ती ऐतिहासिक लगभग ई. 700-ई. 1200; तथा 6. मध्यकालीन, लगभग ई. 1200-ई. 1700 इन कालों को उपकालों में विभाजित किया गया है। स्वतंत्रता के उपरांत पहली बार रोपड़ स्थल की खुदाई में हड़प्पा सभ्यता के अवशेष तथा चित्रित धूसर मृद्भांड (PGW) पहली बार प्राप्त हुए।

rosace (=rose)
वलयाकार अलंकरण (क) किसी कक्ष की अंतश्छद (ceiling) के मध्य में बना अलंकरण। (ख) भवनों को सज्जित करने के लिए बनी वृत्ताकार अलंकृत संरचना, जो गुलाब के पुष्प के समान अंकित होती है। भारत में, इस प्रकार का अलंकरण गुप्तकालीन मंदिरों में कमलाकृति के रूप में मिला है। अलंकरण अभिप्राय के रूप में इसका अंकन विभिन्न पुरावशेषों, यथा मृद्भांड आदि में मिलता है।


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