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Definitional Dictionary of Archaeology (English-Hindi)
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nimbus
प्रभामंडल, प्रभावली, भामंडल देवी-देवताओं अथवा महापुरुषों के चित्रों या उनकी मूर्तियों के मस्तक के पीछे बना प्रायः गोलाकार फैलाव, जो दिव्य ज्योति, प्रकाश और तेज का प्रतीक होता है। प्राचीन श्रेण्यकालीन भारतीय एवं विदेशी वास्तुकला, चित्रकला एवं सिक्कों में, देवी-देवताओं और यशस्वी व्यक्तियों के पीछे इस प्रकार का प्रकाशयुक्त वृत्त दिखाया गया है।

nomos (=nome)
नोमास यूनानी नगर-राज्य के सिक्कों की इकाई।

Nordic race
नार्डिक प्रजाति कॉकेशियाई प्रजाति का एक उप प्रकार। नार्डिक लोगों का कद लंबा, केश भूरे, आँखें नीली तथा नाक सीधी होती थी। इनका शिरस्क सूचकांक 80 से कम होता था। ये मुख्यतः स्वीडन और नार्वे में केन्द्रित हैं।

North Deccan Chalcolithic Culture
उत्तरी-दक्कनी ताम्राश्म संस्कृति भारत के उत्तरी-दक्कनी क्षेत्र की एक संस्कृति। इसके अवशेष मुख्यतः महाराष्ट्र में मिले हैं। इस संस्कृति में जोर्वे भांड, सूक्ष्माश्म, कलश-शवाधान, ओपदार प्रस्तर कुठार तथा ताम्र उपकरण मिले हैं। इसका काल लगभग ई. पू. 1500-ई. पू. 1000 आँका गया है। देखिए : 'Jorwe ware'.

Northern black polished ware
उत्तरी कृष्ण मार्जित भांड चाक पर बने तथा अच्छी प्रकार पकाए गए सामान्यतः काले रंग के चमकदार विशिष्ट भांड। काले रंग के अतिरिक्त कभी-कभी ये भूरे, रूपहले तथा स्वर्णिम आभायुक्त भी मिलते हैं। ये बर्तन सामान्यतः बहुत पतले बने होते थे और हल्के से ठोकने पर धातु जैसी आवाज़ इनसे निकलती है। सामान्यतः कटोरे और तश्तरियाँ मिलती हैं परन्तु कक्षी-कभी ढक्कन, नौतलाकार हांडियाँ आदि भी मिलते हैं। रेडियो-कार्बन तिथियों के आधार पर इन मृद्भांडों की तिथि लगभग ई. पू. 550 से ई. पू. 50 आँकी गई है। यह मृद्भांड 2121 किलोमीटर लंबे (उत्तर-दक्षिण) तथा 1790 किलोमीटर लंबे (पूरब-पश्चिम) तथा 1790 किलोमीटर चौड़े (पूरब-पश्चिम) क्षेत्र में स्थित 415 पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं। सुदूर उत्तर में स्वात क्षेत्र में स्थित उद्यग्राम तथा दक्षिण में गुन्तुर जनपद में स्थित चेब्रोलू, सुदूर पश्चिम में काठियावाड़ में स्थित प्रभास तथा सुदूर पूर्व में चौबीस परगना जनपद में स्थित चन्द्रकेतु गढ़ हैं। इस मृद्भांड का प्रमुख क्षेत्र उन ऊपरी गंगा घाटी का पूर्वी भाग (उत्तर-प्रदेश) था, जहाँ से कुल ज्ञात 415 पुरास्थलों में से 292 पुरास्थल स्थित हैं। इतने विस्तृत क्षेत्र से किसी मृद्भांड परंपरा का प्रसार नहीं ज्ञात है।

nose scraper
नासाकार खुरचनी शल्क, फलक या क्रोड पर बनी एक विशिष्ट खुरचनी जिसकी खुरचन धार पर नासाकार उभार होता है। इसे बनाने के लिए एक अंत के दोनों पार्श्वों में एक-एक खाँचा (notch) इस प्रकार बनाया जाता है कि दोनों खाँचों के बीच का भाग नासिका जैसा निकला हुआ दिखाई पड़ता है। इसी निकले हुए भाग पर पुनर्गठन द्वारा कार्यांग निर्मित किया जाता है। यह मध्यपूर्व पाषाणकाल का विशिष्ट उपकरण था।

notched blade
खाँचेदार फलक प्रागैतिहासिक पाषाण-उपकरण, जिसका प्रयोग संभवतः लकड़ी छीलने के लिए किया जाता था। ये फलक आकार में सामान्य फलक के समान हैं। इनमें अंतर केवल इतना है कि फलकशल्क (blade flake) के एक ओर अर्ध चंद्राकार कटाव बना होता है। कभी-कभी ये कटाव फलक के एक पार्श्व के ऊपर और नीचे दोनों ओर मिलते हैं।

notched scraper
खाँचेदार खुरचनी मध्य पूर्व पाषाणकालीन विशेष प्रकार का उपकरण। यह मूलतः अवतलाकार खुरचनी है, पर इसकी कार्यकारी धार अपेक्षाकृत छोटी तथा अधिक गोलाकार होती है।

nucleates
केंद्रक पूर्व पाषाणकालीन सोहन संस्कृति का एक विशिष्ट अंडाकार बटिकाश्म उपकरण, जिनका निर्माण उदर एवं पृष्ठ दोनों भागों में शल्कीकरण द्वारा किया जाता था। इन उपकरणों को 'उभयपक्षी उपकरण' भी कहा जा सकता है, क्योंकि इनके दोनों पक्षों में शल्कीकरण होता है। शल्क निकालने के लिए इनमें सोपान-पद शल्कीकरण प्रविधि (step flaking technique) का प्रयोग होता था। इन उपकरणों में परिष्करण के चिह्न भी मिलते हैं। ये उपकरण एक पार्श्वीय (peripheral) रूपों में मिलते हैं।

numismatics
मुद्राशास्त्र वह शास्त्र, जिसके अंतर्गत सिक्कों का व्यवस्थित अध्ययन किया जाता है। विभिन्न धातुओं के बने प्राचीन सिक्के तत्कालीन इतिहास और संस्कृति को जानने के महत्वपूर्ण साधन हैं।


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