ऐसी विद्युत् सेल जिसमें डायनमो आदि से प्राप्त विद्युत्धारा चलाकर विद्युत् ऊर्जा संचित कर ली जाती है । इस क्रिया को चार्ज करना कहते हैं और जब स सेल से विद्युत् धारा विपरीत दिशा में प्राप्त होता है । संचित ऊर्जा के खत्म हो जाने पर से पुनः चार्ज कर लिया जाता है । इसमें कोई धातु पट्टिका (इलैक्ट्रोड) रासायनिक क्रिया के कारण नष्ट नहीं होती । ये दो प्रकार के होते हैं । अधिक प्रचलित प्रकार में सल्फ्यूरिक अम्ल मे दो सीसे के प्लेट रहते हैं जिनमें से एक पर लेड पर - आक्साइड जमा रहता है । यही धनात्मक प्लेट होती है । इसमें से विद्युत् दारा लेने से लेड परआक्साइड का अपचय होकर सीसा बन जाता है । चार्ज करने पर उस पर पुनः आक्साइड जम जाता है । इसका वि.वा.ब. लगभग 2 वोल् होता है और आंतरिक प्रतिरोध बहुत कम होता है । अतः इससे प्रबल धारा प्राप्त की जा सकती है । दूसरे प्रकार की सेल में पट्टिकाएँ निकल और लोह की और विलयम पोटेसियन हाइड्रॉक्साइड का होता है इसका वि.वि.ब. लगभग 1.1 वोल्ट होता है ।
secondary coil / secondary winding
द्विवितीयक कुंडली
ट्रांसफार्मर, प्रेरण कुंडली आदि में दो कुंडलियाँ होती हैं - एक जिसमें किसी बाह्य वि.वा.ब. (e.m.f.) से धार चलाई जाती है । इसे प्राथमिक कुंडली कहते हैं । दूसरी जिसमें प्रेरण के कारम वि.वा.ब. उत्पन्न होता है । यह दूसरी कुंडली द्वितीयक कुंडली कहलाती है ।
secondary electron
द्वितीयक इलेक्ट्रॉन
आवेशयुक्त कणों द्वारा हुई बमबारी के परिणामस्वरूप किसी मुक्त परमाणु, अणु अथवा किसी पदार्थ की सतह से उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉन ।
secondary emission
द्वितीयक उत्सर्जन
किसी लक्ष्य पर इलेक्ट्रॉन या अन्य आवेशित कणों की बमबारी से होने वाला इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन । टेट्रोड में कैतोड से उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों द्वारा ऐनोड पर बमबारी से उत्पन्न होने वाले द्वितीयक इलेक्ट्रॉनों के कारम ऐनोड प्रतिरोध का विशिष्ट क्षेत्र मे ऋणात्मक हो जाता है । इसी प्रकार के उत्सर्जन का उपयोग प्रकाश - इलेक्ट्रॉन गुणक में इलेक्ट्रॉन गुणन के ले किया जाता है ।
secondary ionization
द्वितीयक आयनन
आयनित कमों के द्वारा उत्पन्न होने वाला आयनन जो किसी गैस में उसके अणुओं के साथ प्राथमिक विकिरण की अन्योन्य क्रिया के कारण पैदा होता है ।
secondary rainbow
द्वितीयक इन्द्रधनुष
प्राथमिक इंद्रधनुष के बाहर की ओर कभी-कभी एक कम चमकदार इंद्रधनुष दिखाई पड़ता है जिसके वर्णों का क्रम प्राथमिक के वर्णों के क्रम के विपरीत होता है । इसे द्वितीयक इंद्रधनुष कहते हैं । दोनों धनुषों के लाल वर्ण एक-दूसरे के समीप होते हैं ।
secondary standard
दृवितीयिक मानक
(क) वह मात्रक जो किसी प्राथमिक मानक (primary standard) का विशिष्ट गुणज या अपवर्त्य (submultiple) हो जैसे किलोमीटर तता सेंटीमीटर जो मानक मीटर के क्रमशः गुणज और अपवर्त्य हैं ।
(ख) किसी मानक (अथवा उसके गुणज या अपवर्त्य) की अनुकृति (copy) जिसका प्रमुख मानक से अंतर ज्ञात होता है ।
(ग) वह राशि, जिसका मान प्रमुख मानक के सापेक्ष यथार्थतः ज्ञात होता है और जिसका उपयोग मात्रक के रूप में किया जाता है, जैसे लोह आर्क स्पेक्ट्रम की रेखाओं के तरंग - दैर्ध्य, जिनके मान प्रमुख मानक कैडमियम की लाल रेखा के तरंग - दैर्ध्य के सापेक्ष ज्ञात हैं ।
section
परिच्छेद
किसी समतल से किसी घनाकृति को काटने पर प्राप्त समतल आकृत्ति ।
sector
त्रिज्य खंड
वृत्त की किन्हीं भी दो त्रिज्यओं और इनके बीच के चाप से परिबद्ध वृत्त का भाग ।