वह संख्या पद्धति जिरामें 10 के स्थान पर 60 को आधार माना जाता है ।
sextant
सेक्सटैंट
दो वस्तुओं की कोणीय दूरी मापन का यंत्र । समुद्र पर इसको विशेषतः सूर्य तथा तारों की क्षितिज से ऊंचाई मापने के लिए प्रयुक्त किया जाता है जिससे अक्षांश और देशांतर ज्ञात हो सके । इसमें एक दूरदर्शक होता है जिसमें एक वस्तु की किरणें तो सीधी पहुंचती हैं और दूसरी वस्तु की किरणें दो समतल दर्पणों द्वारा परावर्तित होकर दूरदर्शक में पहुंचती हैं । इनमें से एक दर्पण अपने समतल में स्थित अक्ष पर घूम सकता है और उसके घूमने का कोण एक वृत्तीय स्केल पर बनिर्यर की सहायता से यथार्थ पूर्वक मापा जा सकता है । इस दर्पण को घुमा कर दूसरी वस्तु को भी दूरदर्शक में पहली वस्तु से संपतित कर लिया जाता है और दर्पण के घूमने का कोण स्केल पर पढ़ लिया जाता है । यह कोण इन दोनों वस्तओं की कोणीय दूरी से आधा होता है किन्तु स्केल पर अंशांकन ऐसा रहता है कि कोणीयदूरी उस पर प्रत्यक्षतः पढ़ ली जाती है । क्षैतिज से कोणीय ऊंचाई नापने के लिए एक क्षैतिज परावर्तक का उपयोग किया जाता है और तारे या सूर्य तथा उसके प्रतिबिंब को कोणीय दूरी नाप ली जाती है जो इस तारे की कोणीय ऊंचाई से दुगनी होती है ।
sextant
सेक्सटैन्ट
1. वृत्त का छठवाँ भाग यानी 600 । 2 एक यंत्र जिसमें 600 का एक अंशांकित चाप, दो दर्पण और एक छोटा दूरदर्शक होता हैं इसका प्रयोग किसी स्थान पर सूर्य अथवा किसी तारे का उन्नताँश मापने के लिए किया जाता है ।
shading
छायित करना
1. कैमरा-नलिकाओं में पुनरूत्पादित प्रतिबिंब की पृष्ठभूमि-प्रदीप्ति का एक असमान स्तर उत्पन्न करना जो मूल प्रतिबिंब में उपस्थित नहीं होता ।
2. दूरदर्शन में वापसी अंतराल (trace interval) के दौरान कैमरा नलिकाओं में उत्पन्न छद्म सिग्नल की प्रतिपूर्ति ।
shadow
छाया
यदि किसी अपरदर्शी वस्तु को प्रकाश के किसी बिंदु स्रोत और पर्दे के बीच में रखा जाए तो पर्दे का वह अदीप्त या अंशतः दीप्त जो पर्दे के शेष भाग की तुलना में काला या कम प्रदीप्त दिखाई देता है उस वस्तु की ज्यामितीय छाया कहलाता है । छाया की आकृति उस वस्तु के बाहरी किनारे की आकृति से मिलती ह । यदि स्रोत बड़ा ह ता है तो छाया में दो भाग होने हैं । अंदर का भाग, जिस पर सर्त काकोई प्रकाश नहीं पहुँचा, प्रतिच्छाया (unbra) कहलाता है और ब ल्कुल काला होता है । प्रतिच्छाया को घेरे हुए कुछ कम काला बाहरी भाग जहाँ स्रोत के कुछ भाग से तो प्रकाश पहुंचता है और कुछ से नहीं , उपच्छाया (penumbra) कहलाता है । प्रतिच्छाया में स्थित प्रेक्षक को स्रोत का कुछ भाग दिखाई पड़ता है और कुछ नहीं । छाया के इस ज्यामितीय सिदद्धांत के द्वारा सूर्य और चंद्र - ग्हण की व्याख्या की जाती है । यदि ज्यामितीय छाया के सिरों को ध्यानपूर्वक देखा जाए तो वहाँ विवर्तन दिखाई पड़ता ह । जितनी ह प्रकाश को रोकने वाली वस्तु छोटी होती है, यह विवर्तन उतना ही अधिक स्पष्ट होता ह ।
shadow effect
छाया-प्रभाव
विद्युत्चुंबकीय तरंगों में पाया जाने वाला एक प्रभाव जो प्रेषण और अभिग्राही के बीच स्थलाकृति (topography) से उत्पन्न होता है । यह प्रभाव प्रायः सिग्नल-सामर्थ्य की हानि के रूप में होता है ।
shadow mask
छाया मास्क / छाया प्रच्छादन
रंगीन चित्र नलिकाओं में एक प्रकार का इलेक्ट्रोड - तंत्र जो छिद्रित और विद्युत्चालकीय चादरों के रूप में होता ह । इस आवरण के छिद्र इस स्थिति मे लाए जाते हैं जिससे तीन इलेक्ट्रॉन - किरणपुंजों में से प्रत्येक केवल अपने ही इष्ट वर्ण फ़ास्फर बिंदु पर ही पड़े ।
sharpness of resonance
अनुनाद की तीक्ष्णता
अनुनाद की श्रेष्ठता का एक माप । अनुनाद परिपथ द्वारा अन्य आवृत्तियों की तुलना में किसी एक आवृत्ति बैंड का चयन किया जात है । अतः यह आवृत्ति - बैंड जितना अधिक संकीर्ण होता ह उतनी ही अनुनाद की तीक्ष्णता अधिक होती है । प्रायः आवृत्ति बैंड वह माना जाता है जिसमें शक्ति का मान अनुनाद आवृत्ति के शक्तिमान का आधा रह जाता है ।
shearing strain
अपरूपक विकृति
एक प्रकार की विकृति जिसमें किसी ठोस वस्तु के समांतर समतल समांतर तो बने रहते हैं परन्तु अपने ही समतल में विस्थापित हो जाते हैं । वास्तव मे संलग्न समतल एक - दूसरे के ऊपर फिसल जाते हैं इससे वस्तु के आयतन मे तो कोई परिवर्तन नहीं होता, किन्तु उसकी आकृति बदल जाती है । किसी समतल के किसी अन्यसमतल की अपेक्षा विस्थापन और दोनों समतलों के बीच की दूरी के अनुपात के द्वारा यह विकृति नापी जाती है ।
shearing stress
अपरूपक प्रतिबल
किसी प्रत्यास्थ पिंड के अपरूपण से उत्पन्न प्रतिबल । इसका माप पिंड के परस्पर विस्थापित किए गए दो संलग्न परतों द्वारा उनके संपर्क - समतल के प्रति मानक क्षएत्र में एक दूसरे पर लगाया गया बल होता ह ।