सर्वेश्वरवाद
स्पिनोजा, फेक्नर आदि के मतानुसार ईश्वर विश्वव्यापी सत्ता है।
Pantheistic Personalism
सर्वेश्वरवादी व्यक्तिवाद
संपूर्ण सत्ता को व्यक्तिरूप माननेवाला और विश्व की वस्तुओं और जीवों को इस महाव्यक्ति के अंग मानने वाला सिद्धांत।
Paradigma
प्रतिमान
प्लेटो के प्रत्ययों की दृश्य जगत् की वस्तुओं के संबंध में एक विशेषता को प्रकट करने वाला शब्द : प्लेटो ने इंद्रियातीत प्रत्ययों का एक जगत् माना है और उन्हें दृश्य-जगत् की वस्तुओं के लिए आदर्श बताया है, जिनकी वे अपूर्ण प्रतिलिपियाँ हैं।
Paradox
विरोधाभास
तर्कशास्त्र में अनुमान की वह स्थिति जब सत्य रूप में स्वीकृत आधारवाक्य से वैध निगमन द्वारा ऐसा निष्कर्ष प्राप्त किया जाता है जो आधारवाक्य को असत्य दर्शाता है। जैसे : यह कथन कि `मैं असत्य बोलता हूँ।`
Parallelism
समानान्तरवाद
स्पिनोजा के अनुसार मन और शरीर के संबंध के बारे में प्रस्तुत एक सिद्धांत, जिसके अनुसार प्रत्येक मानसिक क्रिया के समानान्तर एक शारीरिक क्रिया होती है, परन्तु उनके मध्य कोई कारणात्मक संबंध नहीं होता।
Paralogism
तर्काभास
सामान्यतः एक दोषपूर्ण न्यायवाक्य या तर्क, जिसके दोष का ज्ञान उसका प्रयोग करने वाले को नहीं होता, और इसलिए जिसका प्रयोग दूसरे को धोखा देने के उद्देश्य से नहीं किया जाता। विशेषतः कांट के द्वारा उन दोषपूर्ण युक्तियों के लिए प्रयुक्त जो आत्मा को एक द्रव्य, निरवयव और नित्य सिद्ध करने के लिए प्रस्तुत की जाती है।
Partial Inversion
आंशिक विपरिवर्तन
एक प्रकार का अव्यवहित अनुमान जिसमें निष्कर्ष का उद्देश्य मूल प्रतिज्ञप्ति के उद्देश्य का व्याघातक होता है और उसका विधेय वही रहता है जो मूल प्रतिज्ञप्ति का है।
उदाहरण : सभी उ वि हैं;
∴ कुछ अ-उ वि नहीं हैं।
Particular
विशेष
1. बौद्ध-दर्शन का एक पारिभाषिक शब्द जिसके अनुसार केवल 'स्व-लक्षण' वस्तुएँ ही एकमात्र सत्य है। इसके विपरीत 'सामान्य लक्षण' एक कल्पना-मात्र है।
2. न्याय-वैशेषिक दर्शन ने 'विशेष' को एक पदार्थ के रूप में स्वीकार किया है, जिसके अनुसार 'विशेष' केवल सामान्यों से ही पृथक नहीं है वरन् एक विशेष की अन्य विशेषों से भी पृथक् विशिष्टता है। 'विशेष' पदार्थ केवल भौतिक परमाणुओं पर ही लागू नहीं होता, बल्कि भौतिक परमाणुओं के समान आत्माओं (souls) पर समान रूप से लागू होता है।
3. द्वैतवादी मध्वाचार्य ने भी ' विशेष' (भेद) पर टिप्पणी की है, जिसके अनुसार न केवल एक वस्तु दूसरी वस्तु से भिन्न है, वरन् वह भिन्नता अन्य सभी वस्तुओं की भिन्नताओं से भी भिन्न है।
4. पाश्चात्य दर्शन में प्लेटो एवं कांट के दर्शन में 'विशेष' एक महत्वपूर्ण प्रत्यय है जो 'सामान्य' का विलोम है।
Particular Proposition
अंशव्यापी प्रतिज्ञप्ति
पारंपरिक पाश्चात्य तर्कशास्त्र में, वह प्रतिज्ञप्ति जिसमें उद्देश्य उसके पूरे वस्त्वर्थ में ग्रहण नहीं किया जाता, जैसे, 'कुछ पशु मांसभक्षी हैं।' इसका विलोम 'सर्वव्यापी प्रतिज्ञप्ति' है जिसमें उद्देश्य उसके पूरे वस्त्वर्थ में ग्रहण किया जाता है। जैसे, सभी मनुष्य मरणशील हैं।
Particulate
कणाकार
कोई भी वस्तु जो कण के आकार की होती है, उसे कणाकर कहते हैं। उदाहरण के लिए भारतीय दर्शन के वैशेषिक दर्शन में परमाणुओं को विशेष के नाम से अभिहित किया जाता है। सभी भौतिक परमाणुओं को 'कणाकार' कहा जा सकता है।