अनंतिम प्राक्कल्पना, अस्थायी प्राक्कल्पना
वह प्राक्कल्पना जिसे किसी संतोषजनक या यथेष्ट प्राक्कल्पना के अभाव में अस्थायी रूप से मान लिया जाता है, ताकि खोज-कार्य अग्रसरित करने के लिए उसे प्रेक्षण और प्रयोग का आधार बनाया जा सके।
Psychical Research
परामानसिकीय अनुसंधान
मनःपर्याय अतींद्रिय प्रत्यक्ष इत्यादि असाधारण, सामायन्य मनोविज्ञान व शरीरविज्ञान के नियमों के द्वारा अव्याख्येय, तथा मन या आत्मा के स्वतंत्र अस्तित्व के पोषक लगनेवाले तथ्यों की छानबीन करनेवाला विज्ञान, जो अब अधिक प्रचलित नाम `परामानसिकी` (parapsychology) से जाना जाता है।
Psychological Atomism
मनोवैज्ञानिक परमाणुवाद
मन की रचना से संबंधित एक सिद्धांत जिसके अनुसार प्रत्येक मानसिक अवस्था कई सरल तथा पृथक् परमाण्विक घटकों के साहचर्य या संश्लेषण से बनी होती है। ह्यूम का दर्शन इसका उत्तम उदाहरण है।
Psychological Egoism
मनोवैज्ञानिक स्वार्थवाद
इस सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक ऐच्छिक कर्म के मूल में प्रकट अथवा अप्रकट रूप से स्वार्थ का भाव निहित होता है। अर्थात् 'स्वहित-साधन' करना मनुष्य का स्वभाव है। यदि हम कभी परहित भी करते हैं तो उसमें भी कहीं न कहीं स्वार्थभाव निहित होता है। हॉब्स, बेंथम और मिल इसके प्रबल समर्थक हैं।
Psychological Hedonism
मनोवैज्ञानिक सुखवाद
यह सुखवाद का एक विशिष्ट प्रकार है। इस सिद्धांत की सर्वमान्य स्वीकृति के अनुसार व्यक्ति स्वभावतः सुख-प्राप्ति के निमित्त कर्म प्रवृत्त होता है एवं दुःख-निवृत्ति की इच्छा करता है। भारतीय-दर्शन में चार्वाक तथा पाश्चात्य दर्शन में हॉब्स, बेंथम एवं मिल इसके प्रबल समर्थक हैं।
Psychological Relativism
मनोवैज्ञानिक सापेक्षवाद
एक मनोवैज्ञानिक सिद्धांत जिसके अनुसार मन का वर्तमान चेतन अवस्था का स्वरूप उसके भूतकालीन तथा समकालीन अनुभवों से प्रभावित होता है।
Psychologism
मनोविज्ञानपरता, मनोविज्ञानवाद
ह्यूम, मिल तथा जेम्स आदि विचारकों की दार्शनिक समस्याओं को मनोविज्ञान की दृष्टि से सुलझाने की प्रवृत्ति। हुसर्ल इत्यादि जर्मन विचारकों ने इस शब्द का प्रयोग अवमानसूचक अर्थ में किया है।
Psychophysical Parallelism
मनोदैहिक समानान्तरवाद
मन और शरीर के संबंध के बारे में प्रस्तावित वह मत कि ये परस्पर स्वतंत्र वस्तुएँ हैं और इसलिए इनमें कार्य-कारण का संबंध कदापि नहीं हो सकता, परन्तु दोनों के परिवर्तनों में एक संवादिता होती है : मान लीजिए म1, म2, म3 ..... मानसिक परिवर्तनों की श्रृंखला है, और त1, त2, त3 ........ शारीरिक या तंत्रिकीय परिवर्तनों की श्रृंखला है। तो म-श्रृंखला के प्रत्येक सदस्य के अनुरूप त ......... श्रृंखला में एक सदस्य है, पर दोनों में कोई कार्य-कारण-संबंध संभव नहीं है। गणित की भाषा में दोनों श्रृंखलाएँ समानान्तर हैं। स्पिनोजा ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन किया है।
Pure Fallacy
विशुद्ध तर्कदोष
तर्क का वह दोष जो केवल तार्किक नियमों के उल्लंघन से पैदा होता है, न कि अनेकार्थक शब्दों के प्रयोग से या अप्रासंगिक बातों के आने से।
Pure Hypothetical Syllogism
शुद्ध हेतुफलात्मक न्यायवाक्य
वह न्यायवाक्य जिसमें तीनों प्रतिज्ञप्तियों हेतुफलात्मक होती हैं।
उदाहरण : यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो वर्षा अच्छी होती है;
यदि वर्षा अच्छी होती है तो फसल अच्छी होती है;
∴ यदि गर्मी अच्छी पड़ती है तो फसल अच्छी होती है।