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Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

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अंग चढ़ाना
शरीर पर लगाना
बाजत ताल-मृदंग जंत्र-गति, चरचि अरगजा अंग चढ़ाई (सू. सा. सूर, 637)।

अंग छूना
शरीर छूकर कसम खाना
सूर हृदय तैं टरत न गोकुल अंग छुअत हाँ तेरौ (सू. सा.- सूर, 4913)।

अंग टूटना, अंग-अंग टूटना
अंगडाई आना
इस तरह हर समय अंग टूटता रहता है कि क्या कहूं। (÷ )

अंग टूटना, अंग-अंग टूटना
शरीर में दर्द होना
देखिए प्रयोग 1 (÷)

अंग ढीला पड़ना या होना
थकान के कारण शिथिल हो जाना
सारे दिन मेहनत करने के बाद उसका अंग ढीला पड़ गया था, वह जमीन पर ही लेट रहा।

अंग तोड़ना, अंग मरोडना
अंगड़ाई लेना
चौबीसों घंटा अंग तोड़ते रहना कोई अच्छी आदत नहीं है।

अंग देना
थोड़ा आराम करना
तीन कोस रास्ता तै करके आये हो, तनिक अंग दो फिर काम में लगना।

अंग धरना
पहनना
आज ठंड है। अब तो कपड़े अंग घरो।

अंग न मोड़ना
विचलित न होना।
प्रात उठै जमुना-जल खोरें। सीत उष्न कहुं अंग न मोरें (सू. सा. - सूर, 1417)।

अंग पड़ना
हिस्से पड़ना, स्वभाव का अंग होना जो शुभ या अशुभ माना जाता है।
फरकहि सुभग अंग सुनु भ्राता (राम. (बाल) तुलसी, 239)।


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