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Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

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अंग लगना
पहनना
नयी की नयी साड़ी फट गयी, मैंने उसे अंग तक नहीं लगाया था।

अंग लगना
आलिंगल करना
पिता ने मुझे अंग लगाया, उनका स्वर भर्रा आया।

अंग लाना
अंग से लगाना, निकट बुलाना
पीहरि जाऊं न रहूं सासुरै, पुरषहि अंग न लाऊं (कबीर ग्रंथा.- कबीर, 166)।

अंग शिथिल होना
भावातिरेक के कारण कुछ करने की सामर्थ्य न रह जाना
अस मन गुनत चले मग जाता, सुकुच सनेहँ सिथिल सब गाता (राम. (अ) तुलसी 593)।

अंग साधना
शारीरिक साधना करना।
जोग अंग जे साधत ऊघो, न सब बसत ईसपुर कासी (भ्र. सा. -सूर, 21)

अंग से अंग लगाना
निकट रखना, अपना बना लेना
मैं तो दासी जनम जनम की अंग से अंग लगाओ।

अंग होना
दे. अंग बनना

अंग-अंग
पूरी तरह से।
अंग-अंग विषभरी राधिका।

अंग-अंग
पूरा शरीर
अंग-अंग से रोष टपकता, वाणी तेजोमय थी।

अंग-अंग खिल जाना
दे. अंग फूले न समाना


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