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Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

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कंउधा
अच्छआ और चमकीला पर क्षणिक।
तुम्हारे इस कंउधे ठाट-बाट पर मैं भूलनेवाला नहीं हूँ।

कंक
भुक्खड़ और लालची।
बड़ा कंक आदमी है, उसे क्या बुलाऊँ।

कंकड़ चुनना
चिन्ता या वियोग के दुःख से किसी काम में मन न लगना।
पिय बिन बैठी चुनै कांकरी, कल न मिलै दिन रैन।

कंकड़-पत्थर
व्यर्थ की चीज़ें।
बकस में क्या कंकड़-पत्थर भर रखा है, हटाओ सब।

कंकड़ी कर देना
तुच्छ समझना; कुछ न मानना।
इस तरह रुपयों को कंकड़ी करने से क्या लाभ?

कंकड़ पहनना या पहनाना
विवाह होना या करना।
जब एक बार कंकण पहन लिया तो फिर निभाना तो पड़ेगा ही।

कंकाल (सा)
बहुत दुबला।
बीमारी के बाद हरखू कंकाल हो गया है।

कंगन बोहना
प्रजा मिलाना।
मैं आपसे कंगन बोहने का साहस कैसे कर सकता हूँ।

कंगल-टिर्रे
गरीब, गरीब पर अकड़ू।
भीड़ बहुत ही है, मेला दरिद्र और मैले लोगों का। यहाँ के लोग बड़े ही कंगल टिर्रे हैं (भा. ग्रं. (3) -भारतेन्दु, 951)।

कंगाल गुंडा, कंगाल बाँका
गरीब पर शौकीन।


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