चरण छूकर सादर प्रणाम करना; किसी को श्रेष्ठ और पूज्य मानना।
चरननि लागि करौं बरियाई; प्रेम प्रीति राखौं उरझाई (कबीर ग्रंथा.-कबीर, 87); चरन लागि करि बिनय बिसाला (राम. (बा) -तुलसी, 198); श्री गुरु चरन-सरोज मनावौं (नंद. ग्रंथा.-नंद., 167); श्री महाप्रभु को मेरा चरण छूना, पांव लगना या पांव लेना पहुँचे और जरूर पहुँचे (पद्म. के पत्र-पद्म. शर्मा, 182)।
छंगा बना फिरना
भला बनना।
माना कि चौधरी भगवानदीन का काम बेजा था लेकिन उनके सामने कहते, नहीं, जब तक वह जिए, इन्हीं लड़कों की (अंग-विशेष का उल्लेख कर कहा) धो-धो कर पीते रहे, अब सब छंगे बने फिरते हो (कुल्ली.-निराला, 43)।
छंट जाना
कम हो जाना।
भीड़ जरा छंट जाय तो चलूं।
छंटनी करना या होना
काम करनेवालों में से कुछ को निकाल देना।
आजकल हर कारखाने में ही छंटनी की जा रही है।
छंटा गुर्गा
बहुत बड़ा धूर्त।
जहां किसी मातहत ने जरूरत से ज्यादा खिदमत और खुशामद की, मैं समझ जाता हूं कि यह छंटा हुआ गुर्गा है (कर्म.-प्रेमचंद, 316)।
छंटा हुआ
चुना हुआ; धूर्त।
यहां तो जितने हैं, एक से एक छंटे हैं (मान. (1) -प्रेमचंद, 131)।