logo
भारतवाणी
bharatavani  
logo
Knowledge through Indian Languages
Bharatavani

Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

Please click here to read PDF file Vrihat Muhavara Kosh (Khand 1)

अंग मोड़ना
अंगड़ाई लेना
पौढ़ि गई हरुऐं करि आपुन, अंग मोरि तब हरि जंभुआने (सू. सा.-सूर, 815)।

अंग मोड़ना
विचलित होना
साधू अंग न मोड़ही ज्यूं भावै त्यूं खाव (कबीर ग्रंथा .-कबीर, 9)।

अंग मोड़ना
पीछे हटना
तुम बहुत आगे निकल आये हो। अब अंग मोड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।

अंग मोड़ना
लज्जा से देह छिपाना
बहू बड़ी सुशील है। हर समय अंग मोड़े बैठी रहती है।

अंग लगना
शरीर को पुष्ट करना
कमला को कितना भी खिलाओ-पिलाओ, जैसे कुछ अंग ही नहीं लगता।

अंग लगना
हिल-मिल जाना
पड़ोसी का तीन साल का बच्चा खूब अंग लग गया था।

अंग लगना
उपयोग में आना
यह कोट किसी के अंग लग जाय तो संतोष हो। मेरे काम का तो रहा नहीं।

अंग लगना
आलिंगन करना
पिय तुम आइ अंग लगि जाओ, तड़पत हौं दिन रैन।

अंग लगना
महत्त्व देना, अपना लेना
पहले उसको राजा साहब बहुत अंग लगाये रहते थे (झांसी .-वृं. वर्मा, 144)।

अंग लगना
हिला-मिला लेना
बच्चों का क्या, जो अंग लगाये, उसी के हो जाते हैं।


logo