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Itihas Paribhasha Kosh (English-Hindi)
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Pagan
देवपूजक, पैगन
अनेक देवी-देवताओं में आस्था रखनेवाला व्यक्ति या संप्रदाय।
ईसाइयों में, 'पैगन' शब्द का प्रयोग, उन व्यक्तियों के लिए किया जाता था, जो अनेक देवताओं के अस्तित्व और उनकी पूजा में विश्वास करते थे, जैसे प्राचीन रोम या यूनान के निवासी।
धर्मयुद्धों (crusades) क काल में, केवल मुसलमानों को ही 'पैगन' कहा गया। कालांतर में, इसका अर्थ परिवर्तित हो गया तथा वे सब लोग, जो ईसाई, मुसलमान या यहूदी धर्म में विश्वास नहीं रखते थे, 'पैगन' कहे जाने लगे।

Pagan
पैगन
बर्मा की प्राचीन राजधानी (सन् 1044-1287 ईo)।
बौद्ध स्मारकों की दृष्टि से इसका विशेष महत्त्व है। यहाँ लगभग 5,000 प्राचीन बौद्ध स्तूपों के अवशेष मिले हैं। यहाँ प्राप्त सबसे प्रसिद्ध स्मारक 'आनंदपैगोड़ा' (सन् 1091 ईo) है।

Paganism
1. देवपूजन, मूर्तिपूजा
देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा-अर्चा।

Paganism
2. देवपूजावाद
देव पूजा में आस्था रखनेवाली विचारधारा।
देव-देवी पूजा की प्रतिपादक या समर्थक विचारधारा।

Pagoda
1. स्तूप
ऊँचा टीला या डूह, जिसके नीचे महात्मा बुद्ध या किसी अन्य बौद्ध श्रमण आदि के अवशेष चिह्न (अस्थि, दाँत, केश आदि) सुरक्षित हों।

Pagoda
2. बौद्ध मंदिर
मीनार के आकार का बौद्ध मंदिर, जिसकी प्रत्येक मंज़िल वास्तुकला की दृष्टि से सुंदर होती है।
इस प्रकार के मंदिर प्रमुख रूप से दक्षिण भारत, बर्मा, हिंद चीन, चीन तथा जापान में मिलते हैं।

Pagoda
3. पैगोडा
सन् 1818 ईo से पहले, दक्षिण भारत में प्रचलित सोने का सिक्का, जिसके पृष्ठ भाग पर पैगोडा का चित्र अंकित रहता था।
इस प्रकार के सिक्के सबसे पहले वहाँ 16वीं सदी में प्रचलित हुए तथा बाद में अंग्रेज, फ्रांसीसी तथा डच व्यापारियों ने भी दक्षिण भारत में इस प्रकार के सिक्के चलाए।

Palace intrigues
राजप्रासाद षड़यंत्र
राजप्रासाद के कर्मचारियों या वहाँ की महिलाओं द्वारा वैयक्तिक हितों और राजनैतिक उद्देश्यों की सिद्धि के लिए, गुप्त रूप से आयोजित कपटपूर्ण साज़िश।

Palatinate
जागीर
सामंत की जागीर, विशेषतया काउन्ट पैलेटीन नामक सामंत की जागीर, जिसे अपने अधिकार-क्षेत्र में राजा के समान अधिकार प्राप्त थे।

Palm-leaf
ताल, ताड़-पत्र
ताड़ वृक्ष, विशेष रूप से पंखिया ताड़ का पत्ता, जिसे विजय का प्रतीक चिह्र भी माना जाता था।
प्राचीन काल में, इस प्रकार के पत्तों पर लिखाई तथा चित्रण का कार्य किया जाता था।
ताड़-पत्र पर लिखी पांडुलिपियों से यह सिद्ध हो चुका है कि दीर्घ-कालीन महत्त्व की रचनाओं और कृतियों को लिपिबद्ध कर सुरक्षित रखने के कार्य में, ताड़पत्र का प्रयोग-व्यवहार प्राचीन काल में होता था।


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