अपनी राजसत्ता को येन-केन-प्रकारेण स्थापित करने या बनाए रखने के लिए किसी भी ऐसे साधन को अपनाने की नीति, जो भले ही विधि-विरुद्ध या नीति-विरुद्ध क्यों न हो।
इस नीति का प्रतिपादन फ्लोरेन्स के राजनयज्ञ, राजनीति-मर्मज्ञ तथा इतिहासज्ञ निकोलो मैकियाविली (सन् 1469-1527 ईo) ने, अपनी पुस्तक 'द प्रिन्स' में किया है।
इस पुस्तक में, उसने यह प्रतिपादित किया कि राज्य की अविकलता को बनाए रखने के लिए, शासक को, न्यायिक, नैतिक या मानवतावादी सिद्धांतों के बंधनों से नहीं बँधा होना चाहिए। सत्ताधारी को, राजनीतिक स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए, ऐतिहासिक तथ्यों की व्याख्या भी अपने अनुकूल करनी चाहिए। अपनी सत्ता की स्थापना तथा उसको बनाये रखने के लिए, शासक सब प्रकार के साधनों का प्रयोग कर सकता है। उक्त नीति के अनुसार, शासक के बुरे-से-बुरे और अत्यंत विश्वासघातपूर्ण कार्य भी संगत और उपयुक्त हैं।
Magna Carta
मेग्ना कार्टा
इंग्लैंड में, राजा जॉन (सन् 1167-1216 ईo) द्वारा बैरनों के दबाव में, 15 जून, सन् 1215 ईo को, रनीमीड के स्थान पर हस्तांतरित महाधिकार पत्र, जिसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा राजनीतिक स्वाधीनता का अधिकार-पत्र माना जाता है।
ब्रिटिश विधि तथा संविधान के विकास के इतिहास में, मैग्ना कार्टा का बहुत महत्त्व है। इसमें 61 अनुच्छेद हैं, जिनमें उल्लिखित महत्त्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं :-
1. चर्च की राज्य-नियंत्रण से मुक्ति।
2. बैरन लोगों को, अनेक प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त।
3. प्राचीन काल से चली आ रही सुविधाएँ, लंदन तथा अन्य नगरों में पुनः प्राप्त। राज्य में, व्यापारियों को मुक्त आवागमन का अधिकार मिला।
4. बिना न्यायिक निर्णय के किसी व्यक्ति को बंदी नहीं बनाने की व्यवस्था।
Magnum Concillium
मैगनम कान्सिलियम, उच्च परिषद्
नॉर्मन राजाओं के समय की सभा। विजेता विलियम (William, the Conqueror सन् 1027-1087 ईo) ने, सन् 1070 ईo में, उच्च परिषद् की स्थापना की। यह प्रायः न्यायिक मामले निपटाती थी और राजा को कानून बनाने तथा कर लगाने के विषय में विषय में उपयुक्त परामर्श देती थी।
Malum prohibitum
राज्यवर्जित कृत्य
कृत्य, जो स्वतः अपराध न हों, किंतु जिन्हें संविधान द्वारा अपराध की संज्ञा दी गई हो।
Mandamus
परमाधिदेश
(क) प्राचीन समय में, इंग्लैंड के राजा को प्राप्त विशेष अधिकार के अधीन दिया गया समादेश, जिसके द्वारा वह किसी कार्य को रोकने के लिए आदेश देता था।
(ख) उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय (या किसी अधिकारी द्वारा निगम आदि) को किसी विशिष्ट कार्य को पूरा करने के लिए दिया गया आदेश।
Mandate
अधिदेश
1. उच्च अधिकारी या न्यायालय द्वारा अपने अधीनस्थ अधिकारी या न्यायालय को दिया गया आदेश।
2. मतदाताओं द्वारा निर्वाचित, संसद्-सदस्य या प्रतिनिधि को, किसी लोक कार्य को करने या कराने के लिए दिया गया कथित राजनीतिक आदेश।
3. किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्न पर पोप द्वारा दिया गया निर्णय या उत्तर।
4. मेनडेट के अधीन प्रदेश।
5. शासकीय सत्ता, विशेषतया संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा प्रदत्त, किसी देश को अन्य देश या क्षेत्र विशेष पर, तब तक शासन करने का अधिकार जब तक शासित क्षत्र स्वतंत्रता प्राप्त करने के योग्य न बने।
Mandate, class 'A'
अधिदेश वर्ग 'क'
तुर्की के मध्यपूर्व और अरब के उत्तर में स्थित (तुर्की के) प्रदेश, जिन्हें स्वतंत्रता देने की बात सिद्धांततः मान ली गई, किंतु उन्हें अधिदेश-प्राप्त शक्ति के परामर्श से प्रशासित किए जाने की तब तक व्यवस्था की गई, जब तक वे स्वावलंबी न हों।
अधिदेश व्यवस्था के अंतर्गत, फ्रांस को सीरिया और लेबनान, ब्रिटेन इराक, फिलिस्तीन और ट्रांसजोर्डेनिया प्रशासनार्थ सौंप दिए थे।
Mandate, class 'B'
अधिदेश वर्ग 'ख'
अधिदेशाधीन जर्मनी के अफ्रीकी उपनिवेश, जिन्हें उस समय स्वायत्त शासन के अयोग्य माना गया।
ब्रिटेन की, टंगानिका का अधिकांश क्षेत्र और बैल्जियम-टंगानिका के राउन्डा तथा उरून्डी नाम के दो पश्चिमी क्षेत्र दे दिए गए, जो बैल्जियम के कांगो प्रदेश के निकट थे। पश्चिमी अफ्रीका, टोगोलैंड तथा कैमेरून, ब्रिटेन और फ्रांस को प्रशासनार्थ दे दिए गए।
Mandate, class 'C'
अधिदेश वर्ग 'ग'
जर्मनी के दक्षिण-पश्चिमी अफीकी उपनिवेशों के वे भूभाग (आधुनिक नामिबिया), जो दक्षिण-अफ्रीकी संघ को प्रशासनार्थ दिए गए।
पराजित जर्मनी के प्रशांत सागर में स्थित टापुओं को, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया और जापान के मध्य बाँट दिया गया। जर्मन समोआ, न्यूज़ीलैंड को, न्यूगिनी और नौरु, आस्ट्रेलिया को और भू-मध्य रेखा के उत्तर में स्थित टापुओं को, जापान को दे दिया गया।
Mandate system
अधिदेश पद्धति
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा, भूतपूर्व प्रदेशों या जर्मनी के उपनिवेशों के प्रशासन के लिए, कुछ विजेता राष्ट्रों को सौंपा गया शासनाधिकार।
अधिदेश तीन प्रकार के थे :-
अoदेo Mandate, Class 'A'; Mandate, Class 'B'; Mandate, Class 'C'