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Itihas Paribhasha Kosh (English-Hindi)
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Laity
सामान्य धर्मोपासक वर्ग, उपासक वर्ग
पादरी या धर्मोपदेशकों से भिन्न भक्त जन।

Lance
भाला, कुंत
लंबे दस्तेवाला बल्लम, जिसके सिरे पर धातु का पैना फलक लगा होता है। आधुनिक युग में, घुड़सवार जिस भाले का प्रयोग करते हैं, वह प्रायः तीन मीटर लंबा होता है। भार की दृष्टि-से भाले बहुत हल्के बनाए जाते हैं।

Lancer
भालाधारी, भालासवार, कुंतधारी
बल्लमधारी घुड़सवार सैनिक।

Later Guptas
उत्तर गुप्तवंश
लगभग सन् 550 ईo में, गुप्त साम्राज्य के बाद उत्तर भारत में स्थापित चार प्रमुख राज्य, जिनमें से एक उत्तर गुप्त वंश का था। इस वंश ने मगध में राज्य किया। इस वंश का संस्थापक कृष्ण गुप्त (सन् 490-505 ईo राज्य-काल) था। इस वंश का अंतिम राजा महासेन गुप्त था, जिसका शासन लगभग 595 ईo तक रहा।
उत्तर गुप्तवंश का बहुत सा समय मध्यप्रदेश (लगभग आधुनिक उत्तर-प्रदेश) के मौखरी राजाओं के विरुद्ध संघर्ष में बीता।

Lawful heir
वैधा उत्तराधिकारी
उत्तराधिकारी बनने के लिए, जिसका अधिकार विधि-संगत और प्रथा के अनुरूप हो; विधिसंगत वारिस होने के अधिकार से युक्त व्यक्ति।
राज्याधिकारी के मरने पर उसके पद, अधिकार, स्थान आदि की पूर्ति के योग्य विधि-सम्मत वारिस।

Lawlessness (=disorder)
1. अव्यवस्था
विधि के अनुरूप स्थिति।

Lawlessness (=disorder)
2. अराजकता
राजनीतिक अव्यवस्था की स्थिति।

Law lords
लॉ लॉर्डस
अo देo House of Lords

Law of Piety
(अशोक द्वार प्रवर्तित) धर्म
धर्म, जिसका अनुसरण सम्राट अशोक अपनी प्रजा के करवाना चाहता था। जनता के नैतिक जीवन तथा उसके आपसी संबंधों को व्यवस्थित और नियमित रखने के लिए उसने आदेश दिया कि सभी को अपने माता-पिता, गुरुजन तथा उन सब का आदर करना चाहिए, जो पद, ज्ञान, प्रतिष्ठा या आयु में उनसे बड़े हों। सभी को तपस्वियों, ब्राह्मणों, मित्रों, परिचितों, नौकरों, आश्रितों, निर्धनों, रोगियों तथा संबंधियों के प्रति उदारता का व्यवहार करना और उन्हें यथाशक्ति दान देना चाहिए। सम्राट अशोक ने कर्मकांड के स्थान पर आचार की प्रधानता पर ज़ोर दिया। उसने धार्मिक शिक्षाओं को शिला-लेखों पर अंकित कराया।

League of Nations
राष्ट्र संघ
सन् 1920 में, प्रथम विश्व-युद्ध के पश्चात् संस्थापित, राज्यों का प्रथम विश्वव्यापी संगठन।
वर्साई की संधि की प्रस्तावना में, एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन की स्थापनार्थ अनिवार्य उपबंध रखा गया। उस प्रस्तावना में, इस संगठन के निम्नलिखित उद्देश्य रखे गए। युद्ध न करने के उत्तरदायित्व को स्वीकार कर, राष्ट्रों के बीच स्पष्ट, न्यायसँगत और सम्मानपूर्ण संबंध स्थापित कर, अंतर्राष्ट्रीय विधि की भावना के अनुसार, विभिन्न देशों के आचरण के नियम दृढ़ता से स्थापित करके, न्याय पालन करते हुए और संगठित राष्ट्रों के बीच हुई संधियों के उत्तरदायित्वों का पूर्ण रूप से आदर करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देने और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा स्थापित करने के लिए 10 जनवरी सन् 1920 ईo को इसकी स्थापना की गई।
राष्ट्र संघ का कार्य तीन निकायों में विभाजित था :
1. असेम्बली में, सभी सदस्य-राष्ट्रों के तीन-तीन प्रतिनिधि थे, किंतु प्रत्येक राष्ट्र एक ही मत का अधिकारी होता था। असेम्बली का अधिवेशन वर्ष में एक बार जेनेवा में होता था। असेम्बली को, इस संघ से संबंधित किसी भी विषय या विश्वशांति विषयक किसी भी प्रश्न पर विचार करने का अधिकार प्राप्त था।
2. अर्धकार्यपालिका के रूप में, काउन्सिल कार्य करती थी। इसके अधिवेशन वर्ष में तीन बार होते थे। इसके कुछ सदस्य स्थायी होते थे तथा कुछ सदस्यों का निर्वाचन भी किया जाता था।
3. सचिवालय में, प्रधान सचिव सहित उसके अधीन अनेक अधिकारी भी होते थे। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सचिवालय का एक स्थाई अंग था, अंतर्राष्ट्रीय श्रम कार्यालय भी इससे संबंधित संस्था थी।
राष्ट्र-संघ ने, भिन्न-भिन्न अवसरों पर 40 छोटे-मोटे तथा 20 बड़े संघर्षों से संसार की रक्षा की। यद्यपि राजनीतिक क्षेत्र में इसे विशेष सफलता नहीं मिली, तथापि स्वास्थ्य तथा अन्य सामाजिक कार्यों में इसने महत्त्वपूर्ण योगदान किया।


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