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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Interpolation
अन्तर्वेशन
संपूर्ण आँकड़ों की अनुपस्थिति में किसी फलन के अज्ञात मान के सन्निकट आकलन प्राप्त करने की विधि को अन्तर्वेशन कहते हैं।
सांख्यिकी में अन्तर्वेशन का अर्थ किसी स्वतंत्र चर के दत्त मान के तदनुरूप किसी आश्रित चर के अज्ञात मान के आकलन का पता लगाना है।
अन्तर्वेशन की कुछ प्रमुख विधियाँ ये हैं:— (1) आलेखीय विधि, (2) बीजीय विधि, (3) न्यूटन विधि, (4) लागरांजी विधि तथा (5) विभक्त अंतरों की विधि।

Intertemporal theory = (atemporal theory)
अंतरकालिक सिद्धांत
उत्पाद सिद्धांत से संबंधित वह संकल्पना जिसके अंतर्गत प्रत्येक पण्य या वस्तु के बारे में समय बिंदु के अनुसार अलग-अलग विचार किया जाता है। इसमें आज के एक श्रम घंटे को कल के एक श्रम घंटे से अलग माना जाता है।
इस सिद्धांत के मूल में प्रौद्योगिकी की विस्तृत विशिष्टियाँ तथा विशेषीकरण का प्रक्रम निहित रहता है जिसके फलस्वरूप उतपादन कारक के रूप में स्थायी पूँजी का समावेश किया जा सकता है।
पूँजी सिद्धांत की प्रसिद्ध संकल्पनाएं यथा पूँजी परिसंपत, पूँजी सेवाएं और निवेश को भी अनिवार्यतः हम इसी सिद्धांत के अंतर्गत शामिल कर सकते हैं।

Interval estimation
अंतराल आकलन ∕ परास आकलन
किसी अज्ञात प्राचल के दो प्रकार के आकलक होते हैं:—(1) बिन्दु आकलक तथा (2) अंतराल या परास आकलक
बिन्दु आकलन में प्राचल का केवल एक ही मान निकलता है जबकि परास आकलन में दो सीमा मानों के बीच प्राचल आकलक रखा जाता है।
ये दो सीमाएं (नीचली और ऊपरी ) ऐसी होती हैं कि प्राचल के सही मान की इन दो सीमाओं के अन्दर होने की प्रायिकता दी गई प्रायिकता (इच्छित प्रायिकता) के बराबर होती है। इच्छित प्रायिकता को विश्वास गुणांक भी कहते हैं।
किसी भी ज्ञातव्य गुणांक के संदर्भ में प्राचल के परास आकलन अनेक हो सकते हैं। यह एक समस्या रह जाती है कि इनमें से किसको चुना जाये। बिन्दु आकलक की अपेक्षा परास आकलक को इसलिए पसंद किया जाता है क्योंकि बिन्दु आकलक सदैव लगभग सही नहीं होते, जबकि परास आकलक की सीमाओं के अंतर्गत सही प्राचल मान के होने की प्रायकता अधिक होती है।
जैसे यदि हम औसत आय (y) की 95% विश्वास गुणांक से संबंधित परास अंतराल ज्ञात करना चाहें तो किसी दिए हुए आकार के यादृच्छिक प्रतिदर्श से आय की मानक त्रुटि (ey) ज्ञात करने फार्मूला यह होगाः y_s±1.96 ey

Inverse matrix
व्युत्क्रम आव्यूह
व्युत्क्रम आव्यूह का तात्पर्य है विपर्यय या प्रतिलोम। mxn आकार के आव्यूह A का सामान्यतः व्युत्क्रम nxm होता है।
इसे 〖A〗^(-1) भी लिखा जाता है। AX=Y का हल X=〖AY〗^(-1) होता है। दूसरे रूप में इसे यों भी लिखा जाता है:— 〖AA〗^(-1)=I

Irregular fluctuations
अनियमित उच्चावन
ऐसे असाधारण या बेकायदा संचलन जिनकी व्याख्या मौसमी विचरणों या चक्रीय उच्चावचन के अंतर्गत नहीं की जा सकती।
इनका कोई प्रतिरूप नहीं होता और न ही इनमें किसी प्रकार का पुनरावर्तन होता है।
इस प्रकार के विचरण आकस्मिक या अवशिष्ट होते हैं। इन संचलनों का पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता। इसीलिए उन्हें अनियमित उच्चावचन कहते हैं।

Iso-frquency curve
सम आवृत्ति वक्र
ऐसा वक्र जो एक जैसी आवृत्ति-अवधि के चक्रीय उतार-चढ़ाव वाले समीकरणों के रेखा-पथ (locus) के अनुसार बनाया जाता है।
यह वक्र परवलय की शक्ल के होते हैं और y अक्ष को मूल बिंदु पर स्पर्श करते हैं। इसका सामान्य समीकरण यह है: 〖y 〗^2=〖4k〗^2 x यहाँ k शून्य और इकाई के बीच कोई भी संख्या हो सकती है।

Isoquant
समोत्पाद वक्र
समोत्पाद वक्र उत्पाद की एक जैसी मात्राओं या आगतों के अनेक संयोजनों को प्रकट करते हैं।
प्रत्येक संयोजन को रेखाचित्र पर एक बिन्दु द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है और विभिन्न संयोजनों को प्रदर्शित करने वाले ऐसे बिन्दुओं के बिन्दुपथ को समोत्पाद वक्र कहते हैं।
यदि y से उत्पाद दर्शित करें तथा x₁, x₂ आगतों के प्रतीक हों तो समोत्पाद वक्र का समीकरण इस प्रकार होगा: y=f(x₁, x₂)

Iso-stability curve
समस्थिरता वक्र
किसी आर्थिक मॉडल के आचरण की स्थिरता के संबंध में निम्नलिखित अवकल समीकरण के आधार पर खींचा गया वक्र समस्थिरता वक्र कहलाता है: yt + byt — 1 + cyt — γ=0 इस समीकरण में b और c गुणांक हैं और γ असमघात पद है।
इस अवकलक समीकरण के गुणांकों में कोई भी परिवर्तन जिसके कारण यह वक्र मूलबिन्दु की दिशा में जाता है इसकी स्थिरता को बढ़ाने वाला होता है अर्थात वक्र की बाईं ओर ले जाने वाले सभी परिवर्तन स्थिरता लाने वाले होते हैं।

Kurtosis
ककुदता इसमॆं () और () क्रमशः चतुर्थ और द्वितीय आघूर्ण हैं ।
ककुदता किसी वक्र की शिखरता या चपटपन को कहते हैं।
ऐसा वक्र जिसका उपरितल चपटा तथा पुच्छ छोटी हो चर्पट ककुदी वक्र कहलाता है।
जिस वक्र का शिखिर तीक्ष्ण तथा पुच्छ लम्बी हो, उसे तुंग-ककुदी वक्र कहते हैं। (TABLE)
कार्ल पियर्सन ने ककुदता का माप निम्न सूत्र से दिया है: β_2=μ_4/〖μ_2〗^(2 ) इसमें μ_4 और μ_2 क्रमशः चतुर्थ और द्वितीय आघूर्ण हैं।

Labour force
श्रम शक्ति
रोजगार में लगे व्यक्तियों तथा बेरोजगारों की कुल संख्या।
किसी समय विशेष में 15 से 65 वर्ष के बाद सभी काम करने योग्य व्यक्तियों की संख्या जो या तो रोजगार में लगी हो या फिर काम की तलाश में हो।
श्रम शक्ति देश में आर्थिक वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करती है। इसमें बिना वेतन के काम करने वाले परिवार के सदस्य भी शामिल किए जा सकते हैं परंतु घरेलू काम-काज करने वाले सदस्यों जैसे गृहणियों आदि को शामिल नही किया जाता।


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