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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Duodenoscopy
ग्रहणीदर्शन
ग्रहणी की गुहान्तदर्शी परीक्षा।

Duodenostomy
ग्रहणी छिद्रीकरण
शस्त्रकर्म द्वार ग्रहणी में छेद बना देना।

Duodenum
ग्रहणी
आहारनाल में आमाशय के ठीक बाद स्थित छोटी आँत का अग्र भाग, जिसमें अग्नाशय वाहिनी और पित्तवाहिनी खुलती है।

Dupuytren'S Contracture
डुपीट्रेन अवकुंचन
यह करतल (palmar) और कभी-कभी पादतल प्रावरणी (plantar fascia) का स्थानिक तौर पर मोटा हो जाना है। संकुचित प्रावरणी के फलस्वरूप अंगुलियां आकुंचन की दशा में आ जाती है। ऊपर की त्वचा प्रावरणी से चिपक जाती है। रोग पहले पहल छोटी अंगुली में शुरू होता है और बाद में अनामिका में हो जाता है और कभी-कभी मध्यमा और तर्जनी भी ग्रस्त हो जाती हैं। पुराने रोगियों में करभ-अंगुलि (metatarsophalangeal) तथा निकटस्थ अंगुली संधियों (peoximal phalangeal joint) में स्थायी परिवर्तन हो जाते हैं और इस प्रकार अंगुलियां स्थायी तौर पर मुड़ जाती हैं। आमतौर पर यह अवस्था दोनों तरफ होती हैं तथा पुरुषों में अधिकतर मिलती है। शुरू में रोगियों का इलाज स्पिलंट लगा कर तथा कर्षण (traction) करके किया जाता है और बढ़े हुए रोग वाले रोगियों में प्रावरणी में समूल उच्छेदन (radical excision) किया जाता है।

Duramater
डयूरामेटर, तानिका
मस्तिष्क तथा मेरूरज्जु के चारों ओर स्थित मजबूत रेशेदार झिल्ली।

Dyschondroplasia
उपास्थि दुर्विकसन
इस अवस्था में लंबी अस्थियों के अस्थिवर्ध सिरे (diaphyseal end) पर उपास्थि की अपसामान्य वृद्धि हो जाती है जिससे उपास्थि तथा अस्थि के अर्बुद अस्थिकांडों पर अधिवर्ध के नजदीक बन जाते हैं। इनको बहु उपास्थि बाह्य अध्यास्थि (multiple cartilagenous exostosies) भी कहते हैं। चिह्न (signs) कलाई (मणिबंध-wrist) पर मिलते हैं, अन्तःप्रकोष्ठ विचलन (ulnar deviation) होता है तथा कोहनी या कूर्पर (elbow) पर बहिः प्रकोष्ठिकास्थि के सिर (head of the raduis) की संधिच्युति (dislocation) होती है। ऐक्स-रे द्वारा देखने पर डायाफिसिस में एक तरफ से दूसरी तरफ को पार करने वाली पारभासी पट्टियाँ (translucent strips) मिलती हैं। जोड़ में विरूपता होने पर चिकित्सा की आवश्यकता होती है।

Dysphagia
निगरण कष्ट
निगलने में कष्ट होना। इस अवस्था का कारण मुंह, ग्रसनी, स्वरयंत्र तथा ग्रासनली में हो सकता है। अधिकतर शोथ (सूजन) उत्पन्न करने वाली अवस्थाएं, सुदम तथा दुर्दम संरचनाएं (benign and malignent structures) इस बीमारी को उत्पन्न करने में सहायक हैं। कभी-कभी अवटु की बड़ी सूजन (गलगण्ड-goitre) या मध्य- स्थानिक वृद्धि (mediastinal growth) तथा धमनी कुरचनाओं (arterial malformations) द्वारा बाहर से दबाव पड़ने पर ऐसी अवस्था हो जाती है (महाधमनी की दो चापें भी ग्रासनली असंगतिजन्य निगरण कष्ट (dysphagia lusoria) उत्पन्न करती है)। इस रोग की चिकित्सा कारण के अनुसार होती है। यह रोग कुछ तंत्रानुसारी अथवा दैहिक रोगों (systemic diseases) जैसे धनुस्तम्भ (tetanus) तथा अलर्क (rabies) आदि से भी उत्पन्न होता है और इस रोग के साथ उन रोगों के अपने अन्य लक्षण भी देखे जाते हैं।

Dysplasia Epiphysealis Multiplex
बहुअधिवर्ध दुर्विकसन
इस रोग में बहुत से अधिवर्धों (epiphysis) का रूप तथा आकार अनियमित होता है (एक सा नहीं होता)। वे देर में उपस्थित होते हैं तथा देर से जुड़ते हैं। अनियमितता से इनका अस्थिभवन (ossification) होता है जिसके कभी-कभी बहुत से केन्द्र (centres) बन जाते हैं। रोगी कद में छोटा रह जाता है लेकिन बौना (वामन) नहीं होता। टांगे छोटी होती हैं तथा जोड़ों में विरूपतायें (deformities) मिलती हैं।

Dysplasia Epiphysealis Punctata & Stippled Epiphysis
बिंदुकित अधिवर्ध दुर्विकसन
अधिवर्ध, बजाए इसके कि एक केन्द्र हो, अस्थिभवन (ossification) के भिन्न क्षेत्रों से मिलकर बनता है। यह बहुत कम पाई जाने वाली अवस्था है। यह अवस्था न तो पारिवारिक है और न आनुवंशिक। रोगी शिशुओं की तरह देख-रेख के लिए आते हैं क्योंकि वे मानसिक एवं शारीरिक रूप से मंदबुद्ध (retarded) होते हैं।


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