मधुमेह के उपद्रव स्वरूप होने वाला कोथ रूप है। इसके दो प्रकार हैं:- (1) यथार्थ मधुमेही जन्य कोथ तथा (2) मधुमेही में धमनी काठिन्य जन्य कोथ (arteriosclerotic gangrene)। इसमें चिह्नों (दबाव की जगहों- pressure points) पर अपोषणज व्रण (trophic sores) बन जाते हैं। ये व्रण मधुमेह बहुतंत्रिकाशोथ (diabetic polyneuritis) के बाद संरक्षी पीड़ा संवेदना (protective pain sensation) के कारण बन जाते हैं। परिसरीय वाहिका स्पंदन (peripheral vascular pulsation) अपनी सामान्य सीमा में रहता हैं। उपचार रूप में मधुमेह पर नियन्त्रण तथा स्थानिक अंगोच्छेदन (local amputation) किया जाता है। धमनी काठिन्यजन्य कोथ शाखाओं में स्थानिक रक्तक्षीणता के कारण होता है। औषधियों के द्वारा रक्त सग्चाडट को बढ़ाना, अनुकम्पी तंत्रकोच्छेदन (sympathectomy) तथा कोथ के ऊपर के हिस्से में अंगोच्छेदन किया जाता है।
Diabrotic
व्रणीय
संक्षरणीय (corosive), अपरदनीय (erosive) या व्रणीय (ulcerative)।
Diabrosis
व्रण छिद
लगातार संक्षरणीय अथवा व्रणीय प्रक्रिया के परिणामस्वरूप छिद्र का बनना।
Diacaustic
तीव्रदाहक/तीव्रक्षारक
रक्तवाहिनी अथवा किसी अंग में होने वाला व्रणीय छिद्र।
Diaclasia, Diaclasis
भंजन
किसी विकृति की चिकित्सा हेतु उद्देश्य पूवर्क किया जाने वाला अस्थि भंग।
Diaclast
कपालस्थिवेधक शस्त्र
प्रसवकाल में इस शस्त्र का प्रयोग गर्भस्थ शिशु की कपालस्थि का भेदन अथवा उसनें छिद्र करने के लिए किया जाता है।
Diacope
शिरः कपाल का अनुदैर्ध्य एवं गंभीर भेदन
Diacresis
अंगभाजन
प्राकृत अवस्था में दो जुड़े हुए भागों को शस्त्रकर्म या आधात से अलग करना।
Diacrinous
बाह्य सीधा अथवा नलिका द्वारा निष्कासन
Diallylnortoxiferine
मांसपेशी शिथिलता कारक
केल्बेश्युरेरीन का एक अल्कलाईड (Alkaloid) जो मांसपेशी को शिथिल करता है।