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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Bone Cutting Forceps
अस्थि कर्तन सदंश
एक संदंश या फॉरसेप्स जिसका उपयोग अस्थियों के विभाजन में किया जाता है।

Bone-Cyst
अस्थिपुटी
अस्थियों में पायी जाने वाली पुटिया विकृति। यह एक कोष्ठीय (unilocular) या बहुकोष्ठीय (Multilocular) हो सकती है किंतु साधारणतः एक कोष्ठीय पुटियां ही पायी जाता है। सभी अस्थियों में से ये विकृतियां बाहुअस्थि (Humerus) में सर्वाधिक देखी गई है। इन विकृतियों का पता एक्स-रे के माध्यम से किया जा सकता है क्योंकि ये किरण-पारदर्शक (radio-luncent) होती हैं। अस्थियों में जिस जगह यह स्थित होती हैं वहां विकृतीय अस्थिभंग (Pathological fracture) होने की संभावना बहुत अधिक रहती है। अस्थिभंग होने की दशा में प्रभावित हिस्से को काटकर उसकी जगह हड्डी का एक नया टुकड़ा आरोपित (Bone-grafting) कर दी जाती है।

Bone Forceps
अस्थि संदंश
एक संदंश या फॉरसेप्स जिसका उपयोग अस्थि को पकड़ने में किया जाता है।

Bone Graft
अस्थि-निरोप
अस्थि का निरोपण या प्रत्यारोपण में प्रयुक्त अस्थि-रोप।

Bonelet
क्षुद्रास्थि
शरीर में स्थित क्षुद्र/लघु अस्थि।

Bone-Marrow
अस्थि-मज्जा
अस्थियों के बीच में तथा अस्थि सिरों (epiphysis) के छिद्रित भाग (cancellous bone) में पाये जाने वाला एक विशेषीकृत मुलायम उत्तक (Specialized soft-tissue) यह उत्तक रक्ताणुओं (Blood corpuscles) के निर्माण व वृद्धि (Manufacture & Maturation) के लिये अतिआवश्यक होता है। यह दो किस्म का होत है- पीली- मज्जा (yellow-marrow) जो कि वसीय (Fatty) होती है तथा युवाओं के सिरों पर स्थित क्षिद्रित अस्थि (cancellous bone of epiphysis) में पायी जाती है। लाल-मज्जा (Red-marrow) जो कि नवजात शिशुओं और बच्चों (infants & childrens) की कई अस्थियों में तथा युवाओं के अस्थियों के सिरों के स्पंजी भाग (spongy bone of the proximal epiphyses) में होती हैं- युवाओं में निम्न अस्थियों में लाल-मज्जा पायी जाती है- बाहुअस्थि (Humerus), जंधास्थि (Femmur), स्टर्नम पसलियों (Ribs) व कशेरुकायें (vertebrae)।

Bone-Marrow Transplant
रक्त-मज्जा प्रत्यारोपण
शरीर की सभी कोशिकाओं में पोषक पदर्थों को पहुंचाने के लिये तथा उनसे उत्सर्जी पदार्थों के ग्रहण के लिये रक्त अति आवश्यक है इस रक्त का निर्माण अस्थि-मज्जा में होता है। स्पष्ट है कि रक्त-संबंधी कुछ विकृतियों का कारण रक्त-मज्जा में अनियमितता हो सकती है। यदि इन विकृतियों को साधारण तरीके से ठीक नहीं किया जा सकता है तो रोगी की दशा क्रमशः गभीर होती जाती है, इन रोगियों में मज्जा-प्रतयारोपण करके उनके जीवन को बचाया या बढ़ाया जा सकता है। ऐसी कुछ दशायें हैं- अकोशिकीय रक्ताल्पता (aplastic anaemia) रक्त कैंसर (Leukemia), प्रतिरक्षा कमी (immuno deficiency syndromes), तीव्र किरण प्रभाविता (acute radiation syndrome)। इन दशाओं के उपचार के लिये योग्य दाता (Eligible bone-marrow donor) से मज्जा को सुई द्वारा खींचकर (by aspiration), रोगी के शरीर में अंतः शिरीय तरीके से (by intravenous route) प्रवेशित करा दिया जाता है। प्रत्येक व्यक्ति मज्जा-दान नहीं कर सकता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का प्रतिरक्षा संघटन (Immunological composition) बिल्कुल अलग व विशिष्ट (Unique & specific) होता है तथा अपने से मिन्न कोशिका के संपर्क में आने पर वाह्य-कोशिका को नष्ट कर देता है। अतः मज्जा दान से पहले दाता का प्रतिरक्षा जांच (Immuno-typing) करवा कर ग्राहक (recepients) से मिलान (cross-matching) करवा लिया जाता है। आदर्श-मिलान (complete similarity) केवल समान - जुड़वां व्यक्तियों (identical-twins) में ही संभव है अतः साधारणतः अधिकतम मिलान की दशा में मज्जा का प्रत्यारोपण प्रतिरक्षा शामक औषधियों (Immune suppressant medicines eg. cortico steroids, Azathoiprine etc.) की उपस्थित में कर दिया जाता है। इन मरीजों की नियमित रूप से जांच (Regular follow-up) अति आवश्यक होती है।

Bony-Crepitus
अस्थि-करकर
(1) भंग या टूटी अस्थि के टुकड़ों के आपस में रगड़ने पर निकलने वाली ध्वनि। अस्थि-संबंधी-परीक्षण (orthopedic examination) बिना इस लक्षण को दर्शाने वाले तरीके को किये (Methods eliciting this sign) हुये अपूर्ण माना जाता है। उपचारित अस्थिभंग (treated fracture) में इस लक्षण का पाया जाना हड्डी के सिरों में जुड़ान के अभाव (delayed) को दर्शाता है।
(2) वृद्धावस्था संबंधी गठिया (osteoarthritis) में भी हड्डियों के जोड़ों के अंदर उपस्थित सिरों (articular ends of uniting bones) के बीच रगड़न उत्पनन हो जाती है इसका कारण संघीय द्रव (synovial fluids) की कमी होना है। गठिया में होने वाला दर्द इस भाग में स्वतंत्र तंत्रिका सिरों (Free-Nerve endings) के उत्तेजन (Stimulation) से होता है। अस्थि परीक्षण के दौरान संबंधित संधि के ऊपर एक हाथ को रखकर तथा दूसरे हाथ से अंग को चलाकर (on passively moving the part) उस संधि में इस लक्षण का पता लगाया जा सकता है।

Bougie
शलाका या बूजी
धातु या रबर (gum elastic) का बना एक यंतर, जो मूत्रभार्ग संकीर्णता (stricture of urethra) की चिकित्सा में मूत्रमार्ग के विस्फारण (dilatation) या चौड़ा करने में प्रयुक्त होता है। बूजी या शलाका कई आकार की होती है और इसको इंग्लिश (लिस्टर) या फ्रेंच (वलटन) मापनी (scales) में अंशाकित (graduated) किया जा सकता है। विशिष्ट प्रकार की बूजी, जैसे ऋजु शलाका या बूजी (straight bougie) शिश्न संकीर्णताओं (penile stricture) के लिये तथा सूत्रकार शलाका (filifrom bougie) अधिक तंग या अलंघय संकीर्णताओं (tight or impassable strictures) के लिये प्रयुक्त होती है।

Bouginage
बूजी-प्रवेसन, शलाका-प्रवेशन
मूत्रमार्ग, मलाशय आदि रचनाओं के विस्फारण के लिये बूजी या शलाका का प्रवेश करना।


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