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Definitional Dictionary of Surgical Terms (English-Hindi)
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Audio-Surgery
कर्ण शल्य कर्म
कानों की किसी भी किस्म की शल्य क्रिया। कान तीन भागों से मिलकर बना होता है, बाह्य (External ear) मध्य (Middle ear) व आंतरिक (Internal ear) इनमें से किसी भी भाग के रचनात्मक दोष या रोग (anatomical defect or pathological change) को शल्य कर्म द्वारा ठीक किया जा सकता है। किंतु साधारण तौर पर मध्य कर्ण के शल्य कर्म को सर्वाधिक किया जाता है। इसका कारण मध्य कर्ण का इन तीनों भागों की तुलना में सर्वांधिक रूप से रोगग्रस्त होना है। कानों की संरचना सूक्ष्म होने के कारण इनके शल्य कर्म के लिये शल्यक-सूक्ष्मदर्शी (operating microscope) का प्रयोग किया जाता है।

Augmentation
संवर्धन
कोशिका विभाजन एवं नाडी/तंतु की कार्मुकता को उतेजित कर हृदय की गति को बढ़ाना।

Auricle
अलिंद उत्कोष्ठ, बहिःकर्ण शुक्तिका
(1) हृदय के अलिंद नामक कोष्टक का वह हिसा जो साधारणतः दोनों आलिंदों के आगे की ओर स्थित होता है। सामान्यतौर पर इसमें रक्त प्रवेश नहीं करता और यह चपटे उभार (Flaplike structure) के रूप में रहता है। जरूरत पड़ने पर, अलिंदों की दीवारों में बिना किसी अतिरिक्त खिंचाव के, रक्त इसमें एकत्रित हो सकता है।
(2) बाह्य कर्ण का सबसे बाहरी पंखे सदृश भाग जिसे पिन्ना (Pinna) भी कहते है। इसका कार्य वातावरण में उपस्थित ध्वनि तरंगों को एकत्रित करके कर्ण पट (Tympanic memb) की ओर प्रेषित करना है।

Auroscope
कर्णदर्शी, कर्ण परीक्षण यंत्र
कर्णदर्शक यंत्र यह यंत्र कान के बाहरी भाग (external ear) को देखने के काम में आता है। इन बाहरी भागों में वाह्य नलिका (external auditory canal) व कर्णपट (Tympanic membrance) को विशेष तौर पर इस यंत्र से देखा जा सकता है। इस यंत्र में एक आवर्धक लेंस व एक बैटरी से युक्त प्रकाश व्यवस्था होती है। मूल रूप से यह यंत्र दो भागों से मिलकर बना होता है, एक हत्था जिसमें सेल होते हैं तथा ऊपरी शंक्वाकार ङभाग जिसे कान के अंदर प्रवेशित कराया जाता है। शंक्वाकार भाग के अगले सिरे में लेंस स्थित होता है। शंक्वाकार भाग हत्थे से अलग किया जाता है तथा यह अलग-अलग आकार का उपलब्ध होता है।

Auscultoplectrum
श्रवण एवं आकोठन से उत्पन्न शब्द को सुने वाला यंत्र।

Autechoscope
स्व-श्रवण-यंत्र
स्वध्वनि को सुनने वाला यंत्र।

Autoclave
ओटोक्लेव्
वाष्पदाब द्वारा वस्तुओं को विसंक्रमित करने का यंत्र। इस यंत्र की कार्यविधि प्रेशर कुकर से मिलती-जुलती है। इस यंत्र के दो प्रमुख भाग जैकेट (Jacket) व चैंबर (Chamber) हैं। इसके अलावा इसको अनेक कपाट तथा दाब व ताप सुग्राही निर्देशक (indicators) होति हैं। यह विद्युत संचालित यंत्र है।

Auto-Claving
वाष्पदाबी विसंक्रमण
विसंक्रमण या निर्जीवाणुकरण (sterlization) की एक पद्धति जिसमें दाब के जरिये शुष्क या आर्द्रताप दिया जाता है। इस प्रकार वर्धी (Vegetative) तथा बीजाणुधारी (spore bearing) किस्म के जीवों (organisms) को नष्ट किया जाता है। वाष्पदाब द्वारा वस्तुओं का विसंक्रमित करने की विधि। इस यंत्र के एक विशेष भाग में सर्वप्रथम पानी उबलता है व भाप (वाष्प) बनती है। यह वाष्प जैकेट के माध्यम से चैम्बर में प्रवेश करती है। चैबर में पहले से उपस्थित हवा को यह वाष्प तब तक बाहर ढकेलती है जब तक इसमें केवल वाष्प ही रह जाये। इस स्थिति में चैंबर के निकास द्वार (outlets) को बंद कर दिया जाता है। गर्म वाष्प अब भी चैंबर में आती रहती है तथा जब चैंबर के अंदर आवश्यक ताप व दाब (सामान्यतः 121 से, तापमान व 15 पाउंड (1.06 kg/cm2) दाब) हो जाता है वाष्प प्रवेशन को रोक दिया जाता है। इस तापमान में परिपूर्णित वाष्प सभी कायिक कोशिकाओं (vegetative cells) व बीजाणुओं (endospores) को नष्ट कर देती है। साधारणतः इस पूर्ण नष्टीकरण में लगने वाला समय लगभग 10 - 12 मिनट है किंतु सुरक्षा - दायरा (margin of safety) बढ़ाने के लिये प्रक्रिया 15 - 20 मिनट तक की जाती है।

Autocystoplasty
स्वकोशीय मूत्राशय-सन्धान
स्वयं की कोशिका से मूत्राशय का सन्धान कर्म।

Autogenous Bone Grafting
स्व-अस्थि-निरोपण
अपने ही शरीर से प्राप्त अस्थि का शस्त्रकर्म द्वारा आरोपण (implantation)।


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