विज्ञान अथवा प्रौद्योगिकी की वह शाखा जिसमें ताप का मापन एवं मानक स्थापन किया जाता है।
Thermopile
ताप-विद्युत पुंज
ऊष्मा को सीधे ही विद्युत ऊर्जा में रूपान्तरिक करने की एक युक्ति। सामान्यतया इसमें श्रेणी-बद्ध तापयुग्मों की एक बैटरी होती है।
Thompson effect
टॉमसन प्रभाव
एक ताप-विद्युत प्रभाव। यदि उसी चालक के भिन्न-2 हिस्सों को भिन्न-2 तापमान पर रखा जाय तो ताप-प्रवणता विद्यमान होगी और धातु में ऊष्मा प्रवाहित होने लगेगी। अब यदि विद्युत धारा को चालक के अन्दर प्रवाहित किया जाता है तो ताप-वितरण बिगड़ जायेगा। ऊष्मा के साथ होने वाला विकास या अवशेषण टामसन-प्रभाव के अन्तर्गत आता है। यह प्रतिक्रमय होता है। धारा की दिशा के साथ। इसका चिन्ह बदलता है और यह धारा और ताप-प्रवणता के गुण के बराबर होता है। इसे केल्विन प्रभाव भी कहते हैं।
Three flute drill
त्रि-नाली बरमा
इस प्रकार के बरमों का इस्तेमाल छिद्रों को बड़ा एवं परिष्करण करने में किया जाता है। इनसे नये छिद्र नहीं बनाये जा सकते क्योंकि इनके सिर पर कर्तन सिरे नहीं होते हैं।
Three - ammeter method
त्रि-एमीटर विधि
लघु एकल-फेज शक्तियों को मापने की एक विधि। भार का फेज कोण है और V0 न वोल्ट पर I0 एम्पियर लेता है। तीन उपयंत्रों का इस्तेमाल करके तथा उनके किसी भी प्रतिबाधा प्रभाव को नगण्य मानते हुये, भार - शक्ति P0 और शक्ति गुणक प्राप्त किये जा सकते हैं। काम्पलैक्सर आरेख से
I = I 22 + 121 + 210 (V0/R)
अतः Pol = V1 IO COS ɸ= 1/2 (I22- O20-I21)R
और शक्ति गुणांक =COS ɸ= 1/2 (I22-I20-I21)I0i
Three - phase system
त्रि-फेज तंत्र
एक बहु फेज तंत्र, जिसमें फेजों की संख्या 3 है और फेज विस्थापन 2π/3 होता है। थोक में विद्युत ऊर्जा सप्लाई के लिये यह वितरण संचरण और जनन का तंत्र होता है जबकि फेज विभव यथासंभव संतुलित रहता है।
Three-wire system
त्रि—तार तंत्र
दिष्ट धारा या एकल—फेज प्रत्यावर्ती धारा के लिये वितरण तंत्र, जिसमें दो चालक और एक न्यूट्रल तार होता है। एक चालक और न्यूट्रल तार के बीच सप्लाई लेते हैं। न्यूट्रल तार को आमतौर पर भू—सम्पर्कित कर देते हैं इसमें केवल अन्तर धारा प्रवाहित होती है।
Throat bushing
कंठ—बुश
क्षरणरोधी—पेटी की तली में लगी बुश, जो पैकिंग के क्षरण रोधी—पेटी से प्रणोदक—चूषण—अभि में निकलने से रोकती हैं।
Throttling
उपरोधन
(1) दाब से निम्न दाब पर किसी तरल का रूद्धोष्म एवं निर्बाध प्रसरण। यह एक अप्रतिक्रम्य प्रक्रम है।
(2) जब किसी तरल को बहुत ही संकीर्ण पथ से गुजारा जाता है तो उसका दाब कम हो जाता है और अन्दर आने वाले तरल की प्रवाह दर, गिर जाती है। तरल के संकीर्ण पथ से गुजरने की क्रिया को उपरोधन कहते हैं।