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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Marriage rate
विवाह दर
एक हजार जनसंख्या पर प्रतिवर्ष होने वाले विवाहों और वर्ष की मध्यावधि की कुल जनसंख्या का अनुपात सूत्र रूप में:— विवाह दर (अशोधित)=(वर्ष के दौरान विवाहों की संख्या)/(मध्यवर्ष की कुल जनसंख्या)×1000

Match rate
सुमेल दर
दोहरी अभिलेख पद्धति में एक विधि से संगृहीत आँकड़ों का ऐसा अनुपात जो दूसरी विधि से इकट्ठे किए गए आँकड़ों से किसी पूर्वनिर्धारित निकाय के अनुसार मिलाए जा सकते हों।

Maternity and child welfare services
प्रसूति और शिशु कल्याण सेवाएं
प्रसवकालीन मृत्युदर और शिशु मृत्युदर को कम करने के लिए माताओं और शिशुओं को दी जाने वाली स्वास्थ्य व चिकित्सा संबंधी सूविधाएं।
इनमें प्रसवपूर्व और प्रसवोपरांत दोनों प्रकार की सेवाएं सम्मिलित होती हैं। जनांकिकी अध्ययन के अंतर्गत लोक स्वास्थ्य संबंधी इन सेवाओं को कल्याण कार्यक्रमों का महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।

Mathematical economics
गणितीय अर्थशास्त्र
गणितीय चिन्हो एवं गणितीय विधियों के आधार पर आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण गणितीय अर्थशास्त्र कहलाता है।
गणितीय विधियों के अन्तर्गत रेखागणित, बीजगणित, निर्देशांक ज्यामिति, गतिकी, कलन, अवकल-अंतर समीकरण, मैट्रिक्स, सदिश, सारणिक आदि का प्रयोग किया जाता है।
गणितीय अर्थशास्त्र अर्थमिति से इस अर्थ में भिन्न है कि गणितीय अर्थशास्त्र में प्राचल दिए होते हैं जबकि अर्थमिति में प्राचलों का आकलन किया जाता है।

Matrix
आव्यूह
एक बीजगणितीय विधि जिसमें किसी क्षेत्र से संबद्ध pq अवयवों को एक विशेष व्यवस्था के अन्तर्गत लिखा जाता है।
आव्यूह के अंतर्गत इन अवयवों को p पंक्तियों और q स्तंभों के रूप में दिखाया जाता है। प्रत्येक अवयव की पहचान युग्म (i, j) द्वारा की जाती है जो क्रमशः उस अवयव की पंक्ति या स्तंभ संख्या का द्योतक होता है।
आव्यूह को आमतौर पर चिह्ह [A] द्वारा दिखाया जाता है अथवा संकेत (aij) के रूप में लिखा जाता है जिसमें aij अविष्टि (aij) का द्योतक होती है।

Maximum likelihood estimation
अधिकतम संभावित आकलन
यह आकलन की एक ऐसी विधि है जिसमें प्राचलों के लिए ऐसे को चुना जाता है जिनसे प्रेक्षित प्रतिदर्श का जनन किया जा सके।
इस विधि द्वारा जनित आकलक अधिक संगत तथा उपगामी दृष्टि से प्रसामान्य और दक्ष होते हैं।
इस विधि में मॉडल के संभावित फलन को अधिकतम बनाने का यत्न किया जाता हैं।
फलन के लघुगणकों को अधिकतम बनाने से मॉडल का अधिकतम संभाविता आकलक ज्ञात किया जा सकता है।

Mean deviation
माध्य विचलन
एक माध्य (समांतर माध्य, माध्यिका या बहुलक) से पदमानों के विचलन।
व्यवहार में यह विचलन प्रायः माध्यिका से लिया जाता है क्योंकि माध्यिका से पद-मानों के विचलन का योग न्यूनतम होता है। साथ ही विचलन का योग करते समय हम उसके धनात्मक या ऋणात्मक चिन्ह की उपेक्षा करके छोड़ देते हैं।
इस प्रकार माध्य विचलन=(माध्यिका से विभिन्न पद मानों के निरपेक्ष विचलनों का योग)/(पद संख्या) अथवा M.D.= (∑▒|d| )/N यहाँ |d| पद मान का माध्य या माध्यिका से लिया निरपेक्ष विचलन का मान है।

Mean population
औसत जनसंख्या
औसत जनसंख्या किसी क्षेत्र की एक निश्चित अवधि के मध्य की जनसंख्या होती है।
यदि अवधि कलैंडर वर्ष की हो तो वर्ष के मध्य अर्थात 30 जून की जनसंख्या को औसत जनसंख्या माना जाएगा।

Measure of central tendency
केन्द्रिय प्रवृत्ति का माप
बारंबारता बंटन का संक्षिप्त रूप में प्रतिनिधित्व करने वाली परिकलित संख्या।
यह संख्या उक्त बंटन की केंद्रीय प्रवृत्ति का माप होती है तथा उसके परिमाण को बताती है। इस माप के निम्नलिखित रूप होते है:— 1. योगात्मक या समांतर माध्य, 2. माध्यिका, 3. बहुलक. 4. भारित माध्य, 5. गुणोत्तर माध्य तथा 6. हरात्मक माध्य।

Measure of economic welfare (MEW)
आर्थिक कल्याण मापाँक
किसी देश की संपन्नता का सूचकाँक। इसमें सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) मुख्य तत्व होता है।
आर्थिक संवृद्धि के तीन निर्धारक होते हैं:—1. श्रम शक्ति, 2. तकनीकी व्यवस्था तथा 3. पूँजी का स्टॉक।
इन्हीं के आधार पर संवृद्धि की वार्षिक दर तथा दीर्घावधिक प्रवृत्तियाँ निकाली जाती हैं।
सकल राष्ट्रीय उत्पाद के सूचकांक में राष्ट्रीय खपत के कुछ आवश्यक तत्वों को छोड़ दिया जाता है जिनका आर्थिक कल्याण से घनिष्ठ संबंध है।
अतः नीति निर्देशक तत्व के रूप में अब यह स्वीकार किया जाने लगा है कि सकल राष्ट्रीय उत्पाद के स्थान पर आर्थिक कल्याण के मापाँक (MEW) को जिसमें प्रति व्यक्ति उपभोग के स्तर को शामिल किया जाता है, देश की समृद्धि का सूचक माना जाना चाहिए।
साधारणतः आर्थिक कल्याण का यह मापाँक सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP) के (2/3) के बराबर होता है और इसका वास्तविक मापाँक कई बार पूँजी की खपत और समृद्धि की उपेक्षाओं के अनुसार अवधार्य मापाँक से बढ़ सकता है या कम हो सकता है। जब यह वर्धमान हों तब अर्थव्यवस्था भावी नियोजन के मार्ग पर अग्रसर मानी जानी जाती है और उसमें चालू उपभोग का स्तर ऊँचा माना जाता है। साथ ही यह समझा जाता है कि लोग भविष्य की तुलना में वर्तमान उपभोग को तरजीह देना चाहते हैं। इस मापाँक को निवल आर्थिक कल्याण (NEW) की संज्ञा भी दी जाती है।


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