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Paribhasha Kosh (Arthmiti, Janankiki, Ganitiya Arthshastra Aur Aarthik Sankhyiki) (English-Hindi)
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Index of dissimilarity
असमानता सूचकांक
कभी-कभी किसी जनसमष्टि के बारे में यह पता लगाना आवश्यक होता है कि वह किसी गुण की दृष्टि से दूसरी जनसमष्टि के समान है या नहीं। इसको जाँचने के लिए जिस सूचकांक का प्रयोग किया जाता है उसे असमानता सूचकांक कहते हैं।
तुलना करने के लिए किसी गुण का विभिन्न वर्गों में प्रतिशत बंटन मालूम करके एक दूसरे का अंतर ज्ञात किया जाता है तथा समान चिन्हों वाले अन्तर को जोड़कर यह सूचकांक ज्ञात कर लिया जाता है।

Indifference curve
अनधिमान वक्र
दो वस्तुओं के भिन्न-भिन्न संयोजनों को, जिनके लिय उपभोक्ता समान वरीयता रखता है या किसी संयोजन के प्रति अन्य संयोजनों की तुलना में अधिक वरीयता नहीं रखता है, एक ऐसी आरेखीय विधि द्वारा दिखाया जा सकता है जिसे अनधिमान वक्र की संज्ञा दी जाती है।
इस वक्र पर प्रत्येक बिन्दु पर उपभोक्ता दोनों में से किसी भी वस्तु को एक दूसरे से अदला-बदली कर सकता है। उपभोक्ता किसी वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई लेने पर किसी दूसरी वस्तु की कितनी मात्रा का त्याग करेगा उसको सीमान्त प्रतिस्थापन दर कहते हैं। यह दर ह्रासमान मानी जाती है अर्थात् जैसे-जैसे पहली वस्तु का स्टॉक उपभोक्ता के पास बढ़ता जायेगा उसकी अगली इकाई मिलने पर वह दूसरी वस्तु की क्रमागत मात्रा का त्याग करेगा।
अनधिमान वक्र केन्द्र की ओर उत्तल होता है ओर नीचे की ओर गिरता है।
संतुलन की अवस्था में, सीमान्त प्रतिस्थापन दर वस्तुओं की कीमतों के अनुपात के बराबर होती है।

Infant mortality rate
शिशु मृत्यु दर
शिशु मुत्युदर प्रति 1000 जीवित जन्म लेने वाले शिशुओं के पीछे जन्म से लेकर एक वर्ष की आयु के भीतर मरने वाले बच्चों की संख्या का अनुपात होता है।
शिशु मृत्यु के अन्तर्गत और बहिर्जात कारणों का पता लगाने के लिये यह दर विशेष महत्व रखती है। इस दर को निकालने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग करते हैं:— शिशुजन्म दर=(निर्धारित अवधि में एक वर्ष या उससे कम आयु के मरने वाले बच्चों की संख्या)/(उसी अवधि में जीवित जन्मों की संख्या)

Input-out put model
आगत-निर्गत मॉडल
अर्थ-व्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रकों के संबंधों का अध्ययन करने वाला ऐसा मॉडल जिसमें उद्योगों की अंतर्जात व बर्हिजात दरों तथा वस्तुओं की मध्यवर्ती तथा अंतिम स्थिति का उल्लेख बीजगणितीय समीकरणों के माध्यम से किया जाता है।
यह मॉडल निम्न प्रकार का हो सकता है। (1) खुला, (2) बंद, (3) गतिकीय, (4) स्थैतिक, (5) तुलनात्मक स्थैतिक तथा (6) रैखिक।
( i) खुले प्रकार के मॉडल में उद्योगों के अलावा एक खुला क्षेत्र (जैसे पारिवारिक क्षेत्र) होता है जो बहिर्जात रूप से अंतिम माँग का निर्धारण करता है जिसे आगतेतर (non-input) माँग भी कहा जाता है। यह माँग प्रत्येक उस उद्योग के लिए अलग-अलग होती है जो इसके लिए प्राथमिक आगत (जैसे श्रम) की पूर्ति करता है। इस आगत का स्वतः उद्योगों द्वारा निर्माण नहीं किया जाता। (ii) बंद मॉडल में अंतिम माँग और प्राथमिक आगत नहीं होती। इसमें n+1 नए उद्योग की दृष्टि से आगत अनुपात और पुर्ति अनुपात नियम माना जाता है इसकी समीकरण प्रणाली समांग होती है। (iii) गतिकीय मॉडल में सभी उद्योगों का संतुलन निर्गत स्तर मालूम करने के लिए युगपत् समीकरण प्रणाली को हल करना पड़ता है ताकि इन सभी की आगतों की आवश्यकता और खुली प्रणाली की अंतिम माँग को ठीक-ठीक पूरा किया जा सके। (iv) स्थैतिक प्रणाली के मॉडल में निम्नलिखित पूर्व धारणाएं की जाती हैं:— (क) प्रत्येक उद्योग केवल एक समरूप पण्य या वस्तु बनाता है। इसमें संयुक्त रूप से दो या अधिक वस्तुओं को भी शामिल किया जा सकता है शर्त यह है कि एक नियत अनुपात में तैयार की जाती हो। (ख) प्रत्येक उद्योग के आगतों या कारक संयोजनों का अनुपात नियत होता है। (ग) प्रत्येक उद्योग में उत्पादन का परिमाण स्थिर रहता है। n उद्योगों की अर्थव्यवस्था के लिए ऐसे मॉडल के आगत गुणांकों को [A=(aij)] आव्यूह के रूप में लिखा जा सकता है। (v) तुलनात्मक स्थैतिक मॉडल में n उद्योगों के लिए n समीकरण होते हैं जिनमें से प्रत्येक बहिर्जात चर अंतिम माँग के फलन के हल का एक मान होता है इन समीकरणों का आंशिक अवकलन कुल तुलनात्मक स्थैतिक व्युत्पन्नों के मानों के बराबर होता है। (vi) रैखिक आगत-निर्गत मॉडल में प्रत्येक उद्योग या सक्रियता को दो किस्म के सदिशों द्वारा दिखाया जाता है (1) प्राथमिक आगत जो किसी उद्योग का निर्गत नहीं होते तथा (2) मध्यवर्ती आगत जो अन्य उद्योगों के निर्गत होते हैं। मैट्रिक्स रूप में इसे यों लिखा जाता है:— A=[(a_11 .. a_1 n@a_(21 ) .. a_2 n@a_(1n .).. a_n n)]

Institutional population
संस्थागत जनसंख्या
वे व्यक्ति जो किसी संस्था में एक साथ रहते हों।
जैसे छात्रावासों में रहने वाले विद्यार्थी, अस्पतालों में रहने वाले रोगी, कैदी, सैनिक छावनियों के कर्मचारी आदि।
किन्हीं प्रशासकीय कारणों से इन संस्थाओं में रहने वाले लोगों की गणना अलग से की जाती है।

Institutional restraints
संस्थागत अवरोध
अर्थव्यवस्था के ढाँचे के अनुसार फर्म के स्वरूप, उत्पादन के आकार तथा उस देश की अन्य सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक संस्थाओं और उनके संबंधों को विनियमित करने वाले कानूनों, रीति-रिवाजों आदि के कारण उत्पादन की प्रक्रिया पर जो प्रतिबंध लगाए जाते हैं उन्हें संस्थागत अवरोध कहा जाता है।
इस प्रकार के अवरोधों को अर्थमितीय मॉडल के संरचनात्मक समीकरणों के माध्यम से दिखाया जाता है।

Instrumental variable
साधनभूत चर
यदि किसी मॉडल में उसके प्रचलों को संगत रूप से अकलित करना असंभव हो और मॉडल के यादृच्छिक चर उसके स्वतंत्र चरों से संबंधित हों तो उस परिस्थिति में हम जिन बहिर्जात चरों की सहायता से प्राचलों को संगत रूप से आकलित करते हैं उन्हे साधनभूत चर कहा जाता है।
उपगामी संदर्भ में ऐसे बहिर्जात चरों में निम्न विशेषताएं वांछनीय हैं: (i) यह बहिर्जात चर मॉडल में दिए गए स्वतंत्र चरों से संबंधित हों। (ii) प्रतिदर्श परिभाषा के बहुत अधिक बढ़ने यादृच्छिक चर तथा इन बहिर्जात चरों का सह संबंध शून्य हो।
अर्थमितिक आकलन में साधनभूत चरों का प्रयोग विशेष रूप से पश्चता बंटित (distributed lag) तथा त्रुटितचर मॉडलों में किया जाता है।

Integrated area
एकीकृत क्षेत्र
एक ही क्षेत्र के अंतर्गत रखे जाने वाले इलाके।
वितरण मूलक अध्ययन करने के लिए कभी कभी जनसंख्या को कार्यशः एकीकृत क्षेत्रों में बाँटा जाता है। एक दूसरे पर निर्भर ऐसे इलाके जो आर्थिक गतिविधियों की दृष्टि से या प्रशासकीय दृष्टि से एक दूसरे से एक सूत्र में बंधे रहते हैं। ज्यादातर एकीकृत क्षेत्र का विकास ऐसे केन्द्रों के इर्द-गिर्द बस्तियों या उपनगर के रूप में होता है जो यातायात, औद्योगिक अथवा व्यापारिक केन्द्र होते हैं।
केन्द्रीय क्षेत्र को मुख्य नगर माना जाता है और इसके इद-गिर्द के इलाकों को उपनगरीय क्षेत्र माना जाता है।

Integration
समाकलन
ऐसी विधि जिसके द्वारा परिवर्तन की दर का फलन ज्ञात किया जाता है।
यह विधि अवकलन की विपरीत विधि है। इसका चिन्ह ʃ है और परिवर्तन की दर ƒ'(x) को समाकल्य कहते हैं।
विशिष्ट सीमाओं के बीच निकाले जाने वाले समाकल को निश्चित समाकल कहा जाता है।
द्विक श्रेणी समाकल का रूप निम्नलिखित है:— (_z^ )ʅ (_x^ )ʅ f(x) dx dz इसी प्रकार त्रिक श्रेणी और बहुश्रेणी समाकल भी होते हैं।

International migration
अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन
अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन का तात्पर्य अपने देश सीमा से बाहर जाकर किसी दूसरे देश में स्थायी रूप से रहने लगना है।
यह प्रवसन अकेले व्यक्ति का भी हो सकता है अथवा कुछ समूहों में भी।
बाहर जाने वाले व्यक्तियों को उत्प्रवासी कहा जाता है और जिस देश में वे पहुँचते हैं उन्हें वहाँ पर आप्रवासी कहा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन के संबंध में विभिन्न देशों की सरकारें अपने देश की जनसंख्या का नियंत्रण पुनर्वितरण प्रवसन नीति द्वारा करती हैं।
तुल∘ दे∘ migration


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