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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh (Bundeli)

हिन्दी वर्णमाला दे. ना. लि. का आद्य वर्ण, ओनम का पहला अक्षर, दे. ओनम, बुन्देली में वर्णमाला को ओनम कहते हैं, इसका उच्चारण इस अक्षर की सहायता के बिना नहीं हो सकता इसीलिए वर्ण माला में क, ख, ग आदि वर्ण अकार संयुक्त लिखे और बोले जाते, हैं, एक अव्यय जो व्यंजन से प्रारंभ होने वाले शब्द के पहले उपसर्ग की तरह आकर नकार, अभाव, वैपरीत्य आदि का अर्थ देता है, जैसे- अंजान, अकारथ, अकाज, अकाल आदि। कहीं- कहीं यह बुन्देली में हिन्दी की तरह ही अतिशयता या आधिक्य का बोध भी कराता है, जैसे अलोप, अघोर, अमोल, अतोल आदि।

अंक
सं. पु.
संख्यावाची आकृतियाँ, चिन्ह, निशान, संख्या सूचक चिन्ह जैसे- १, २, ३, अक्षर।

अंकड़ी
सं. स्त्री.
कांटा, काँटे की तरह मुड़ा हुआ लोहे का टुकड़ा साँप पकड़ने का औजार।

अंकन
क्रि. वि.
अक्षरों में जैसे अंकन दस, २०, अंकों में लिखा हुआ, विशेषकर रूपयों के लेखन में प्रयुक्त।

अंका
सं. पु.
अक्षर, निशान, जैसे- 'मिटे नहिं विधि के अंका', वे निशान जिन्हें कोरी लोग कपड़ा बुनते समय उसकी माप ठीक रखने के लिए बारह- बारह गिरह की दूरी पर लगाते हैं।

अंकाई
सं. स्त्री.
आँकने की क्रिया या भाव, अंकन, आंकने का अंकन करने का पारिश्रमिक, फसल में से जमींदार और काश्तकार के हिस्से का ठहराव, दानाबंदी, कूत, अंदाज, परख।

अंकाबो
क्रि. स.
किसी दूसरे से किसी वस्तु के मूल्य या वजन का अंदाज लगवाना।

अंकुड़ा
सं. पु.
कोई चीज निकालने या फँसाने के लिये बना हुआ टेढा कांटा, हुक, गाय बैल के पेट में होने वाला मरोड़, रेशमी कपड़ा बुनने वाला एक औजार।

अंकुड़ी
सं. स्त्री.
अंकुशनुमा।

अंकुर
सं. पु.
गुठली, बीज आदि में से नया डंठल जिसमें छोटी- छोटी पत्तियाँ लगी होती हैं, पौधों, वृक्षों आदि की जड़, डाल या तने में से उगने वाला नया पत्ता।


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