हिन्दी वर्णमाला दे. ना. लि. का चौथा स्वर वर्ण, इस का उच्चारम स्थान तालु है, प्रयोग बलवाची प्रत्यय, बुन्देली के मध्य तथा पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्रों में प्रयुक्त होता है, कुछ क्षेत्रों में ( ऊ ) का प्रयोग होता है, यह। अव्य. ही है।
ईंग
सं. पु.
सुअर के सींग।
ईंगुर
सं. पु.
रोली, मांग भरने और बिंदी लगाने का सिंदूर।
ईंचना
क्रि.
खींचना।
ईंचबो
क्रि.
ऐंचना, खींचना, तानना।
ईंचा-तानी
सं. स्त्री.
खींचा तानी।
ईंट
सं. स्त्री.
ईंट का एक टुकड़ा, एक हथियार, ईंटा चुनबो- ईंटों को जोड़कर दीवार बनाना, ईंटा पथबो- गीली मिट्टी को साँचे में डालकर ईंट का आकार देना।
ईंडरी, ईंडुरी
सं. स्त्री.
गेंडुरी।
ईंदन
सं. पु.
ईधन, जलाने के काम आने वाली वस्तुएं, ऊर्जा स्त्रोत, जलाऊ लकड़ी, कन्डे- उपले, उदाहरण- ईंदन कड़बो- एक गाली जिसका अभिप्राय मरना है।