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Pramanik Vrihad Bundeli Shabd Kosh (Bundeli)

गऊरें
क्रि. वि.
उगने पर (सूरज ऊरें) चक्की चलाए हुए।

हिन्दी वर्णमाला देवनागरी लिपि के क वर्ग का तृतीय व्यंजन वर्ण इसका उच्चारण स्थान कण्ठ्य है।

गेंग
सं. अ. स्त्री.
डाकुओं का दल, मजदूरों की टोली।

गेंती
सं. स्त्री.
कुदाली।

गुंज
सं. स्त्री.
छूटा से मिलता- जुलता एक झूलने वाला गले का आभूषण। गुंज लगाबो- घास की पूलियाँ बाँदने की क्रिया।

गेंदी
सं. स्त्री.
कत्थई फूलों तथा गहरे हरे रंग के पत्तों का पौधा।

गेंड़ी
सं. स्त्री.
घोड़े के पलेंचा के नीचे रखा जाने वाला लम्बा तकिया, कर्णफूल के पीछे लगाई जाने वाली धागे या धजी से बनाई हुई कुनई ताकि कान से तरकुली निकल न सके।

गंइयर बाबा
सं. पु.
एक ग्राम देवता, जिनकी काछी जाति के लोग पूजा करते हैं।

गंईगुवाँ
सं. पु.
देहात, गाँव।

गंकड़ा
सं. पु.
बड़ी गकरिया।


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