हिन्दी वर्णमाला दे. ना. लि. का दूसरा स्वर वर्ण, यह अ का दीर्घ रूप है, अकर्मक. स्वीकार, अनुकम्पा, दया, वाक्य समुच्चय, अल्प, सीमा, हद्द, व्याप्ति और अतिक्रमण आदि अर्थ- सूचक अव्य. शब्द, (उपसर्ग) क्रिया से पूर्व प्रयुक्त होने पर- पास, ओर, चारों ओर, आदि अर्थो को प्रकट करता है, गत्यर्थक धातुओं से पूर्व प्रयुक्त होने पर धात्वर्थ को उलट देता है जैसे- गमन, देना, लेना इत्यादि।
आ
सं. पु.
पितामह, शिव आदि।
आँक
सं. पु.
अंक, प्रायः अंक के लिए प्रयुक्त शब्द।
आँकड़ा
सं. पु.
हिसाब करते समय जोड़ी घटाई जाने वाली संख्या, हंसिया के आकार की मुड़ी हुई नोंकदार छड़, जिसके एक ओर मुठिया लगी रहती है यह भरे हुए बोरे उठाने में सहायक होता है।
आँकड़ी
सं. स्त्री.
कांटा, अंकुशी, जंजीर, सर्प पकड़ने की लोहे की छड़ जिसके एक सिरे पर अंग्रेजी अक्षर की तरह की दो शाखाएँ बनी रहती है जिससे सर्प को फन के पास दबाकर पकड़ लिया जाता है।
आँकना
सं. पु.
परखना, परीक्षा करना, चिन्हित करना, अनुमान करना, अंदाज करना, इसका शुद्ध रूप है अंकन।
आँकने
सं. पु.
गहोई वैश्यों के स्थान आधारित या कुलीन उपनाम।
आँकबों
क्रि.
अंकित करना, आकृति बनाना, तरल रंग से अल्पना बनाना, मूल्यांकन करना, आकलन करना।